भारत में बहुत से ऐसे तीर्थ स्थल है जो अपने चमत्कारों के कारण काफी लोकप्रिय हैं। इसी तरह के चमत्कारों और रहस्यों से भरा है उज्जैन का काल भैरव मंदिर जिसे लेकर लोगों में काफी आस्था देखी जाती है। यहां भगवान शिव के पांचवें अवतार कहे जाने वाले काल भैरव की प्रतिमा स्थापित है। इस मंदिर में प्रसाद स्वरूप शराब चढ़ाने का प्रचलन है। मान्यता है कि काल भैरव की प्रतिमा यहां मदिरा पान भी करती है। इसलिए इस मंदिर के बाहर साल के 12 महीने और 24 घंटे शराब बिकती है। कहा जाता है कि जो व्यक्ति सच्चे मन से इस मंदिर में दर्शन के लिये आता है तो उसके सारे दुख दूर हो जाते हैं।

पुराणों के अनुसार भगवान शिव के रक्त से काल भैरव का जन्म हुआ था। बाद में इस रक्त के दो भाग हुए पहले भाग से बटुक भैरव बने और दूसरे से काल भैरव। बटुक भैरव को बाल रूप तो काल भैरव को भगवान का युवा रूप कहा जाता है। हिंदू धर्म में जैसे हर एक भगवान का एक प्रिय दिन होता है जिस दिन उनकी पूजा का खास महत्व माना जाता है, इसी तरह काल भैरव की पूजा का सबसे अच्छा दिन रविवार और मंगलार माना गया है। इसलिए इस दिन उज्जैन के इस काल भैरव मंदिर में बड़ी संख्या में भक्तों का तांता लग जाता है। लोगों का मानना है कि भगवान काल भैरव के पूजन से ना सिर्फ दुखों का अंत होता है बल्कि शनि का प्रकोप भी शांत हो जाता है।

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कहा जाता है कि बहुत साल पहले एक अंग्रेज अधिकारी ने काल भैरव द्वारा मदिरा का पान किये जाने की बात की तहकीकात करवाई थी। उसने प्रतिमा के आसपास काफी गहराई तक खुदाई करवा दी लेकिन उसके बाद भी वह इस रहस्य को नहीं जान पाया। जिस कारण वह अंग्रेज भी काल भैरव का भक्त बन गया।

कहते हैं प्राचीन समय में यहां सिर्फ तांत्रिक ही अपनी तंत्र क्रियाएं करने के लिए आते थे। लेकिन बाद में यह मंदिर आम लोगों के लिए भी खोल दिया गया और धीरे-धीरे यह मंदिर अपने चमत्कारों के कारण लोगों में प्रसिद्ध होता गया। यूं तो काल भैरव को मदिरा पिलाने का सिलसिला सदियों से चला आ रहा है लेकिन यह कब, कैसे और क्यों शुरू हुआ, इस बात की सही जानकारी नहीं मिल पायी है।