बॉडी की फंक्शनिंग को मेंटेन करने के लिए लंग्स महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। फेफड़ों के जरिए ही वातावरण में मौजूद हवा फिल्टर होकर ऑक्सीजन के रूप में खून के कतरे-कतरे तक पहुंती हैं और कार्बनडायऑक्साइड बॉडी से बाहर आती है। इसके अलावा लंग्स बॉडी के पीएच को बैलेंस कर बाहरी आक्रमण से हमें बचाते हैं। हालांकि, आज के समय में प्रदूषण, खराब वातावरण और स्मोकिंग जैसी आदतों का असर सीधा असर हमारे फेफड़ों पर पड़ता है, इससे व्यक्ति को ना केवल सांस लेने में परेशानी का सामना करना पड़ता है, बल्कि आगे चलकर ये लंग्स कैंसर का कारण भी बनती हैं।
पॉल्यूशन और स्मोकिंग के चलते फेफड़ों में गंदगी जमा होने लगती है, जिसके चलते व्यक्ति को सांस लेने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है। ऐसे में फेफड़ों में सूजन बढ़ जाती है। इसके अलावा ये आदतें अस्थमा, खांसी, ब्रोंकाइटिस, सिस्टिक और निमोनिया जैसी समस्याओं को न्योता देती है। इसी कड़ी में इस लेख में हम आपको 3 ऐसे योगासन बताने जा रहे हैं, जिनका नियमित अभ्यास फेफड़ों में जमा गंदगी को आसानी से साफ किया जा सकता है। आइए जानते हैं इनके बारे में-
धनुरासन
फेफड़ों को स्वस्थ रखने में धनुरासन योग को काफी फायदेमंद माना जाता है। ये फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाकर अस्थमा जैसी गंभीर बीमारी पर असर करने का काम करता है। धनुरासन दमा के मरीजों के लिए बेहद फायदेमंद होता है, इसके अलावा इसे करने से सांस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया में भी सुधार होता है।
क्या है धनुषासन करने का तरीका?
- इस योग को करने के लिए सबसे पहले आपको पेट के बल लेटना है।
- अब अपने घुटनों को अपने कूल्हों की ओर मोड़ लें।
- इसके बाद अपने दोनों हाथों से अपने टखनों को पकड़ें।
- अब अपने पैरों और बाजुओं को जितना हो सके ऊपर की ओर उठाएं और अपना चेहरा भी ऊपर रखें।
- जब तक आप कर सकते हैं तब तक इस मुद्रा में बने रहने का प्रयास करें।
ताड़ासन
कई शोध के जरिए खुलासा हुआ है कि ताड़ासन करने से श्वसन प्रक्रिया में सुधार होता है। ये फेफड़ों के शीर्ष भाग को भी सक्रिय करने में मदद करता है। ऐसे में अधिकतर हेल्थ एक्सपर्ट्स दमा के मरीजों को ताड़ासन करने की सलाह देते हैं।
क्या है ताड़ासन करने का तरीका?
- इस आसन को करने के लिए सबसे पहले सीधे खड़े हो जाएं।
- इसके बाद अपने दोनों हाथों की उंगलियों को इंटरलॉक करते हुए सीधा कान से सटाते हुए ऊपर की तरफ ले जाएं।
- अब जितना हो सके स्ट्रेच करते हुए पेट और चेस्ट को अंदर की तरफ ले जाएं और एड़ियों को जमीन पर ही रखें।
- इसी मुद्रा में करीब 20 सेकंड तक रहें और फिर धीरे-धीरे हाथों को वापस नीचे की ओर ले आएं।
भस्त्रिका प्राणायाम
भस्त्रिका प्राणायाम करने से शरीर में ऑक्सीजन का संचार तीव्र गति से होता है और कार्बन डाईऑक्साइड का स्तर कम होता है। इस योग को करने से ना केवल गले से संबंधित सभी तकलीफें खत्म हो जाती हैं, बल्कि योग विशेषज्ञ फेफड़ों को स्वस्थ रखने के लिए और फेफड़ों में जमी गंदगी को साफ रखने के लिए भी भस्त्रिका प्राणायाम करने की सलाह देते हैं।
कैसे करें भस्त्रिका प्राणायाम?
- भस्त्रिका प्राणायाम करने के लिए सबसे पहले किसी भी शांत वातावरण में सिद्धासन, वज्रासन या पद्मासन में बैठ जाएं।
- इस दौरान अपनी गर्दन, शरीर और सिर को सीधा रखें।
- इसके बाद अपनी आंखें बंद करें और अपना मुंह बंद कर लें।
- योग शुरू करने से पहले अपने नथनों को भी अच्छी तरह साफ कर लें।
- अब अपने हाथों को चीन या ज्ञान मुद्रा में रखें।
- धीरे-धीरे सांस खींचते हुए अपनी सांस को बलपूर्वक छोड़ दें।
- अब एक बार फिर अपनी सांस बलपूर्वक खींचे और वैसे ही उसे छोड़ें।
- भस्त्रिका प्राणायाम करते वक्त धौंकनी की तरह आपको अपनी छाती को फुलाना और पिचकाना है।
- ऐसा करने पर बढ़ते प्रदूषण स्तर से होने वाली बीमारियों का जोखिम कम हो जाता है।
Disclaimer: आर्टिकल में लिखी गई सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य जानकारी है। किसी भी प्रकार की समस्या या सवाल के लिए डॉक्टर से जरूर परामर्श करें।