भारत में कार्डियोवस्कुलर बीमारियों के कारण होने वाले हार्ट अटैक के जो भी मामले रिपोर्ट किए जाते हैं उनमें आधे से ज्यादा 50 साल से कम के लोगों को होते हैं। इनमें से 25% ऐसे लोग होते हैं जो 40 साल से कम के हैं। हमारे यहां कार्डियोवस्कुलर बीमारियों के मरीजों की संख्या ना सिर्फ तेजी से बढ़ रही है बल्कि यह बीमारी कम उम्र के लोगों को भी अपना शिकार बना रही है और ये ऐसे समय में होता है जब वे अपने जीवन की सर्वश्रेष्ठ अवधि जी रहे होते हैं। वैसे तो किसी भी बीमारी का चिकित्सीय तौर पर ता लगाया जा सकता है और किसी भी समय उपचार किया जा सकता है पर रोकथाम असली कुंजी है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान फिटनेस और ठीक रहने के वैकल्पिक तरीकों में लोगों की दिलचस्पी फिर से जगी है और इसके साथ आहार और जीवनशैली में सुधार भी आया है। शरीर पर इस रुख का सकारात्मक प्रभाव होता है और हृदय की अहम बीमारियों को रोकने में सहायता मिलती है। 

हृदय के लिए स्वास्थ्यकर नुस्खे (Health Tips for Healthy Heart)

डायट : हृदय की आम बीमारियां कॉलस्ट्रॉल ज्यादा होने, मोटापा और डायबिटीज से होती हैं। इसलिए संतुलित आहार लेना महत्वपूर्ण है। भोजन मेंहृदयअनुकूलखाद्य पदार्थ होने चाहिए जैसे हरी पत्ते वाली सब्जियां, साबूत अनाज, वसा वाली मछली और मछली का तेल, स्वास्थ्यकर गरी जैसे बादामफलियां जैसे मसूर और फल आदि शामिल हैं। ऐसी चीजें खाइए जो आपको स्वादिष्ट लगें और यह तब तक सही है जब तक आपके प्लेट में जो भी है उसका 80 से 90 प्रतिशत किसी पौधे या अनाज से आता है। आपको यह भी सीखना चाहिए तेल वाले, मीठे और जंक खाद्य पदार्थ खाने के आकर्षण में पड़ें। खासकर 40 की आयु के बाद। 

शारीरिक व्यायाम : हमारा जीवन लगातार आरामतलब होता जा रहा है और लोग अपना ज्यादातर समय लैपटॉप, टेलीविजन या मोबाइल फोन के स्क्रीन के सामने बैठकर व्यतीत करते हैं। हालांकि हमारे शरीर को रोज कम से कम 45 मिनट शारीरिक गतिविधि की आवश्यकता होती है। ऐसे में काम पर रहते हुए पैदल चलना या थोड़ा चलने के लिए काम छोड़नाकाफी मददगार हो सकता है। इससे आंखों को मस्तिष्क और शरीर के साथ काफी मदद मिल सकती है। चलने, दौड़ने, साइकिल चलाने और एयरोबिक्स जैसे शारीरिक व्यायाम को नियमित दिनचर्या का भाग बनाना हृदय के स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद है।      

नींद : पर्याप्त नींद हृदय को स्वस्थ्य बनाए रखने की कुंजी है। स्वास्थ्य से संबंधित दूसरी आदतों को बनाए रखने के बावजूद नीन्द की कमी कार्डियोवस्कुलर बीमारियों का जोखिम बढ़ाती है। हमारे शरीर को रोज कम से कम 7-8 घंटे नींद की आवश्यकता होती है और इसकी कमी तनाव का कारण बन सकती है। स्लीप एपनिया (नींद की गड़बड़ी जिसमें सांस लेना बारबार रुकता और शुरू होता है) के शिकार लोगों को तुरंत इलाज कराना चाहिए क्योंकि इससे हृदय की बीमारी और एरीथिमिया का जोखिम बढ़ता है। 

तनाव : मानसिक स्वास्थ्य और तनाव को अक्सर नजरअंदाज किया जाता है पर हृदय की आम बीमारियों को रोकने में इसकी अहम भूमिका हो सकती है। इसकी वजह यह है कि तनाव के कारण शरीर में ऐड्रेनलिन और कॉर्टिसोल जैसे हारमोन की मात्रा बढ़ जाती है। इससे रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) और हार्ट रेट (दिल की धड़कन) प्रभावित हो सकती है। इसलिए तनाव कम करने पर लंबे समय से जोर दिया जाता रहा है। हर व्यक्ति को चाहिए कि उन कारणों की पहचान करे जिससे तनाव होता है और उनसे बचने के उपाय करे। आंतरिक शांति बनाए रखने के लिए योग कीजिए और ध्यान लगाइए। इससे तनाव और चिन्ता के प्रतिकूल प्रभाव पलट जाते हैं। अकेलेपन या चिन्ता की स्थिति में व्यक्ति को पेशेवर कौनसेलिंग की शरण लेनी चाहिए। 

वेलनेस : स्वास्थ्यकर आदतों का पालन करने के अलावा संपूर्ण रूप से स्वस्थ रहना भी हृदय के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। अच्छा स्वास्थ्य सुनिश्चित करने में खुशी की अहम भूमिका होती है। लोगों से मिलनाजुलना और परिवार तथा मित्रों के साथ संबंधों को मजबूत करना महत्वपूर्ण है। इससे अपनापन बढ़ता है और रोज की चुनौतियों से निपटने में सहायता मिलती है। शरीर और दिमाग अच्छा रहे इसके लिए जरूरी है कि आप आराम से रहें। शौक वाले काम करने और फुर्सत में किए जाने वाले काम के लिए समय निकालना महत्वपूर्ण है। दिमाग पर इसका थेराप्यूटिक असर होता है। 

नियमित स्क्रीनिंग: संपूर्ण स्वास्थ्य की निगरानी के लिए नियमित स्क्रीनिंग जरूरी है। उम्र बढ़ने के साथ यह और जरूरी हो जाता है। समय के साथ एक तरफ लोगों का जीवन बढ़ गया है पर इसका मतलब तभी है जब जीवन बीमारियों से मुक्त हो। मुख्य रूप से फोकस सही ढंग से जीने पर देना चाहिए और हेल्थकेयर तथा वेलनेस के प्रति हमारा रुख इस सिद्धांत पर आधारित होना चाहिए। 

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