National Epilepsy Day 2019, Cause, Epilepsy Seizure, Symptoms, Prevention, Treatment: हर साल 10 मिलियन यानी एक करोड़ लोग एपिलेप्सी यानी मिर्गी से प्रभावित हो जाते हैं। पर समाज में इसको लेकर फैली भ्रांति के कारण इसे न सिर्फ परिवार बल्कि खुद मरीज भी छिपा कर रखता है। दुनिया भर में तमाम सिंगर, प्लेयर और यहां तक कि साइंटिस्ट हुए हैं जो इस स्थिति के साथ जीकर भी दुनिया में अपना नाम कमा चुके हैं। इंडियन एपिलेप्सी सोसाइटी के अनुसार भारत पर मिर्गी के मरीजों और बीमारी का भारी बोझ है। यह दुनिया की सबसे पुरानी पहचानी हुई स्थिति है पर डर और गलतफहमी ने इसे एक सामाजिक कलंक जैसा बना दिया है। नेशनल एपिलेप्सी डे पर आइए जानते हैं शरीर की किस स्थिति के कारण ये होता है और जागरूकता से कैसे आप इससे पीड़ित शख्स की मानसिक स्थिति को सुदृढ़ कर सकते हैं:

शरीर में दो तरह की होती है मिर्गी: मिर्गी एक गैर संक्रामक स्थिति है जिसमें दौरे पड़ते हैं जिससे मानसिक और शारीरिक कामकाज प्रभावित होता है। इसे फोकल (या आंशिक) मिर्गी और जनरलाइज्ड यानी सामान्य मिर्गी की दो श्रेणी में बांटा जा सकता है। फोकल एपिलेप्सी में एपिलेप्टिक सीजर की शुरुआत मस्तिष्क के एक खास हिस्से से होती है और यह पूरे मस्तिष्क में फैल जाता है। जनरलाइज्ड यानी सामान्य मिर्गी की स्थिति में दौरे की शुरुआत कहां से हुई इसका कोई अकेला केंद्र बिन्दु नहीं होता है।

क्या होते हैं संकेत: किसी व्यक्ति को जब दो या ज्यादा दफा बिना किसी उकसावे के दौरा पड़े तो कहा जा सकता है कि उसे मिर्गी है। हमें इसके लक्षण समझना चाहिए। यह शरीर के भिन्न हिस्से में जर्किंग आना है। कुछ देर तक अंधेरा हो जाना, बगैर किसी स्पष्ट प्रेरक के अचानक पलक झपकने लगना (bouts of blinking) भी मिर्गी के लक्षण हैं। हमें इसके लक्षणों का ध्यान रखना चाहिए। इनमें कनवलसन (शरीर के भिन्न हिस्सों का हिलना), अचानक थोड़ी देर के लिए अंधेरा छा जाना, पलक झपकने लगना तथा व्यक्ति का थोड़ी देर तक भौचक्क रहना जब वह किसी से किसी तरह का संचार न कर पाए।

ये कैसे होता है: ऐसे कई कारण हैं जिससे मिर्गी के दौरे की शुरुआत होती है। इनमें कम सोना, गंभीर मनोवैज्ञानिक दबाव, ज्यादा शराब का सेवन, मनोरंजन के लिए नशे (कोकीन, परमानंग) का सेवन करना, पोषण की कमी और कुछ मामलों में मासिक चक्र की गड़बड़ी भी। नियमित ली जाने वाली कोई दवा छूट जाने, किसी और बीमारी के लिए लिखी गई दवा खाने तथा कुछ एंटीबायोटिक से भी मिर्गी के दौरे की शुरुआत हो सकती है। आमतौर पर दौरे का असर एक या दो मिनट से ज्यादा नहीं रहता है। वैसे तो दौरे का असर अचानक खत्म होता है पर यह स्वेच्छा से की गई कार्रवाई नहीं होती है यानी कोई व्यक्ति अपने दौरे को नियंत्रित नहीं कर सकता है। कुछ लोगों का मानना है कि दौरा हमेशा खतरनाक नहीं होता है और मिर्गी के मरीज अपने आस-पास के लोगों के लिए हमेशा खतरा नहीं होते हैं। ये दोनों मान्यताएं गलत और भ्रामक हैं।

दवा कभी अचानक बंद नहीं करें: मिर्गी होने का पता उच्च गुणवत्ता वाले एमआरआई और वीडियो ईईजी से चल सकता है। ज्यादातर मरीजों में इलाज की अवधि 3 से 5 साल के बीच होती है। कुछ मामलों में मरीज (neuro-cysticercosis/न्यूरो-सिसटिसेरोसिस) को सिर्फ एक साल में ठीक हो जाता है। कुछ ऐसे मामले भी होते हैं जब मरीज को कई वर्षों तक (जीवन भर भी) इलाज जारी रखना होता है जैसे जुवेनाइल मायोक्लोनिक एपिलिप्सी के मामले में। मिर्गी के सफल उपचार के लिए सबसे महत्वपूर्ण सावधानी समय पर दवा लेना है। इसकी वजह यह है कि मिर्गी की दवा लेना अचानक बंद करने से दोबारा दौरा पड़ सकता है।

किसी को दौरा पड़े तो ऐसे करें मदद:

  • उसके आस-पास और रास्ते से सारी चीजें हटा दें ताकि उसे चोट न लग जाए।
  • उसके सिर के नीचे एक तकिया रख दीजिए नहीं रखा हो तो रीपोजिशन करके यह काम कीजिए।
  • एक बार जब दौरा पूरा हो जाए तो मरीज को एक करवट लेटे रहने दीजिए
  • बेहोशी की अवधि चेक करके लिख लीजिए।
  • मरीज को आश्वसत कीजिए और उसके पूरी तरह ठीक होने तक उसके साथ रहिए।
  • दौरे के दौरान किसी को भी मरीज को नीचे दबाकर नहीं रखना चाहिए।
  • अगर व्यक्ति नीला हो जाता है या सांस लेना बंद कर देता है तो कोशिश कीजिए कि उसके सिर को इस तरह घुमा दिया जाए जिससे वह सांस ले सके।
  • दौरे के दौरान सीपीआर या मुंह से मुंह के जरिए सांस देने की आवश्यकता बमुश्किल होती है। दौरे के दौरान इसे खीसतौर से नहीं किया जाना चाहिए।
  • अगर दौरा पांच मिनट से ज्यादा चलता है या मरीज चोट लगने से जख्मी हो जाता है या बेहोश हो तो उसे निकट के अस्पताल ले जाना चाहिए।

सिर्फ एक ही दवा से संभव है उपचार: ज्यादातर मामलों में मिर्गी का उपचार किया जा सकता है। एक ही दवा से ज्यादातर लोगों में अच्छा-खासा सुधार देखा जा सकता है (हालांकि कुछ लोगों को दूसरी दवा की आवश्यकता भी पड़ सकती है)। कुछ गंभीर मामले में जब दौरे पर दवा का असर न हो, सर्जरी एक विकल्प है। सच तो यह है कि अगर यह पता चल जाए कि दौरा मस्तिष्क में एक खास जगह से शुरू हो रहा है तो संभावना है कि इसका उपचार किया जा सके। वैसी स्थिति में मस्तिष्क के उस भाग को हटाया जा सकता है। हाल के वर्षों में कई नई और प्रभावी एंटी एपलिप्टक दवाइयां उपलब्ध हुई हैं जिनका साइड इफेक्ट भी कम है।