दुनियाभर में लगातार बढ़ती आबादी पर रोक लगाने के लिए तमाम देशों की सरकार और कई विश्विक संस्थाएं हर मुमकिन तरीके से लोगों को जागरूक करने में जुटी हैं। इसी कड़ी में हर साल 26 सितंबर के दिन को ‘विश्व गर्भनिरोधन दिवस’ (World Contraception Day) के रूप में मनाया जाता है। अब तक सामने आ चुकी कई रिपोर्ट्स इस बात का खुलासा करती हैं कि जानकारी के अभाव में आज भी बड़ी संख्या में लोग अनचाही प्रेगनेंसी का शिकार हो बैठते हैं। या वे इसके लिए केवल गर्भनिरोधक दवाओं का ही इस्तेमाल करते हैं। हालांकि, इस तरीके को लेकर भी अधिकतर लोग कंफ्यूज रहते हैं। अगर आप भी इन्हीं लोगों में से एक हैं, तो इस लेख में हम आपको गर्भनिरोधक दवाओं के साथ इससे अलग भी कुछ ऐसे कॉन्ट्रासेप्टिव तरीकों के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें अपनाकर आप आसानी से इस समस्या का हल निकाल सकते हैं।
यहां पढ़ें गर्भनिरोधक के अलग-अलग तरीके
गर्भनिरोधक गोलियां
सबसे पहले बात गर्भनिरोधक पिल्स की ही करें, तो ये दो प्रकार की होती हैं। एक को संबंध बनाने के तुरंत बाद लिया जाता है जिसे आपातकालीन या इमरजेंसी गर्भनिरोधक पिल्स के नाम से भी जाना जाता है। वहीं, दूसरी का सेवन मासिक अनुसूचि के हिसाब से नियमित रूप से किया जाता है। अब, ये दोनों पिल्स भी दो अलग-अलग प्रकार की होती हैं। आइए समझते हैं विस्तार से-
संबंध बनाने के तुरंत बाद ली जाने वाली गर्भनिरोधक गोलियों में से एक गोली को 24 घंटे के अंदर लेना होता है और दूसरी को 72 घंटे के अंदर लिया जाता है। जबकि, मासिक चक्र के हिसाब से जो गोलियां ली जाती हैं, उनमें से कंबाइंड गोली होती है और दूसरी होती है मिनी गोली। कंबाइंड गोली उसे कहा जाता है, जिसमें प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन दोनों हॉर्मोन होते हैं। वहीं, मिनी गोली में सिर्फ प्रोजेस्टेरोन होता है। सिर्फ प्रोजेस्टेरोन वाली गोली या मिनी गोली उन महिलाओं को ध्यान में रखकर बनाई गई है, जो बच्चे को स्तनपान करा रही होती हैं।
क्या हो सकते हैं नुकसान?
हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स लेने से आपको सिरदर्द, पेट दर्द, बेहद कमजोरी, पीरियड्स में बदलाव और इस दौरान अधिक दर्द, बहुत अधिक ब्लीडिंग का सामना करना पड़ सकता है। इससे अलग कंबाइंड गोली लेने पर मूड स्विंग्स की समस्या हो सकती है और कमजोरी के साथ चिड़चिड़ापन भी बढ़ सकता है। इन तमाम नुकसान से अलग गर्भनिरोधक का ये तरीका आपको एसटीडी यानी यौन संचारित रोगों से नहीं बचाता है।
कंडोम
कंडोम का इस्तेमाल महिला और पुरुष दोनों ही कर सकते हैं। वहीं, ये गर्भनिरोधक का एकमात्र ऐसा तरीका है, जो आपको यौन संचारित रोगों (Sexually Transmitted Disease) से बचा सकता है।
क्या हो सकते हैं नुकसान?
कंडोम यूज करने का एकमात्र नुकसान ये है कि संबंध बनाने के दौरान अगर इसका उपयोग ठीक ढंग से नहीं किया जाए, तो ये फट सकता है या निकल भी सकता है। ऐसे में प्रेग्नेंट होने के चांस बढ़ जाते हैं।
अंतर्गर्भाशयी डिवाइस (IUDs)
आईयूडी यानी इंट्रायूटरिन डिवाइस, एक छोटा टी (T) के आकार का तांबे का उपकरण होता है, जिसे डॉक्टर या नर्स की मदद से महिला के गर्भाशय में डाला जाता है। ये डिवाइस एग को फर्टिलाइज करने से रोकने में मदद करता है। वहीं, गर्भनिरोधक का ये तरीका 5 से 10 सालों तक 99 प्रकिशत आपको अनचाही प्रेग्नेंसी से बचा सकता है।
क्या हो सकते हैं नुकसान?
इस तरीके को अपनाने के बाद महिलाओं को पीरियड्स के दौरान अधिक दर्द और अधिक ब्लीडिंग हो सकती है। इसके अलावा ये तरीका भी आपको एसटीडी से नहीं बचाता है, उल्टा इसे इस्तेमाल करने से संक्रमण का खतरा अधिक बढ़ जाता है, जो समय रहते पैल्विक संक्रमण का कारण बन सकता है।
नसबंदी
ये तरीका भी पुरुष और महिलाओं दोनों द्वारा अपनाया जा सकता है। इसके जरिए पुरुषों में ऑपरेशन की मदद से उस ट्यूब को काट दिया जाता है, जो स्पर्म को अंडकोष से लिंग तक पहुंचाने में मदद करती है। जबकि महिलाओं में ऑपरेशन की मदद से फैलोपियन ट्यूब को अवरुद्ध कर दिया जाता है, जिससे अंडे गर्भ तक नहीं पहुंच पाते हैं। बता दें कि इन दोनों ही मामलों में संबंध बनाने पर कोई भी असर नहीं पड़ता है।
क्या हैं नुकसान?
नसबंदी प्रेग्नेंसी से बचने का एक परमानेंट तरीका है। यानी एक बार इसे अपनाने के बाद वापस आप मां या पिता बनने के सपने को पूरा नहीं कर सकते हैं। इसके अलावा इस तरीके को अपनाने के बाद भी एसटीडी के खतरे को कम नहीं किया जा सकता है।
गर्भनिरोधक इंजेक्शन
इसे एक महीने में या फिर तीन महीने में एक बार डॉक्टर की सलाह पर लगवाना पड़ता है। गर्भनिरोधक का ये तरीका भी कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स की तरह ही काम करता है। हालांकि, इसका असर 8 से 13 सप्ताह तक बना रहता है।
क्या है नुकसान?
गर्भनिरोधक इंजेक्शन से अनियमित रक्तस्राव हो सकता है, साथ ही एक बार इसे लगवाने के बाद समय को ध्यान में रखना बेहद जरूरी हो जाता है। एसटीडी से बचाव में ये तरीका भी असमर्थ है।
वजाइनल रिंग
यह एक छोटी सी प्लास्टिक की रिंग होती है, जिसे योनि के अंदर 21 दिनों के लिए रखा जाता है और हर महीने मासिक धर्म चक्र शुरू होते ही 7 दिनों के लिए निकाल लिया जाता है। आप इसे स्वंय लगा और हटा सकती हैं। वजाइनल रिंग एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टोजेन जैसे हार्मोन को लगातार रक्त में मिलाती रहती है, जिससे पीरियड्स के 13 साइकल तक यानी करीब 1 साल तक अनचाहे गर्भ से सुरक्षा पाई जा सकती है।
क्या है नुकसान?
ये उन महिलाओं के लिए नहीं है, जो एस्ट्रोजन युक्त गर्भनिरोधक नहीं ले सकती हैं। इसे इस्तेमाल करने के दौरान आपको समय-समय पर बदलने की जरूरत होती है। साथ ही ये भी एसटीडी से आपका बचाव नहीं कर सकती है।
Disclaimer: आर्टिकल में लिखी गई सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य जानकारी है। किसी भी प्रकार की समस्या या सवाल के लिए डॉक्टर से जरूर परामर्श करें।