अस्थमा एक ऐसी स्थिति जिसमें किसी व्यक्ति के वायुमार्ग सूजन आ जाती है। जिसके कारण बहुत अधिक बलगम पैदा होने लगता है जिसके कारण सांस लेने में कठिनाई और लगातार खांसी की समस्या होने लगती है। इस बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाने और अस्थमा से पीड़ित लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए, विश्व अस्थमा दिवस हर साल मई के पहले मंगलवार को मनाया जाता है।
बता दें कि आज (3 मई) ‘विश्व अस्थमा दिवस’ है. यह दिवस अस्थमा रोग के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए सेलिब्रेट किया जाता है. अस्थमा सांस की नली और फेफड़ों से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है, जिसमें कई बार सही समय पर मरीज को इलाज ना मिले, तो उसकी जान भी जा सकती है. इस साल ‘वर्ल्ड अस्थमा डे’ को एक खास थीम के तहत मनाया जा रहा है। इस वर्ष इस दिवस की थीम रखी गई है ‘क्लोजिंग गैप्स इन अस्थमा केयर’ ( Closing Gaps in Asthma Care)।
अस्थमा को रोकने के लिए, इस बीमारी के कुछ सबसे सामान्य ट्रिगर्स को समझना महत्वपूर्ण है। अस्थमा एक लंबे समय तक चलने वाली सूजन संबंधी बीमारी है, जो फेफड़ों के वायुमार्ग को प्रभावित करती है. इसमें व्यक्ति को खांसी, सांस लेने में समस्या, घरघराहट, सीने में जकड़न जैसे लक्षण नजर आते हैं। अगर आप अस्थमा के शुरूआती स्टेज में हैं तो इसे डॉक्टर को दिखाने के साथ-साथ कुछ घरेलू उपाय (asthma ka ilaj) भी कर सकते हैं इससे बीमारी को रोकने में मदद मिल सकती है।
लहसुन: लहसुन का सेवन ना केवल अस्थमा के लिए बल्कि हर बीमारी के लिए फायदेमंद है। अस्थमा के इलाज (asthma ka ilaj) के लिए 30 मि.ली. दूध में लहसुन की 5 कालियां उबाल लें और हर रोज इसका सेवन करें।
अजवाइन: अजवाइन भी अस्थमा के इलाज में काफी फायदेमंद है, इसके लिए आप पानी में अजवाइन डालकर इसे उबालें और भाप लें, इससे सांस लेने में होने वाली तकलीफें (asthma treatment) दूर होती हैं।
अंजीर: अस्थमा का इलाज करने के लिए सूखी अंजीर को गर्म पानी में रातभर भिगो दें और सुबह खाली पेट इसका सेवन करें। चूंकि अंजीर कफ को जमने से रोकने में काफी मदद करता है। इससे श्वास नली में जमा बलगम ढीला हो जाता है और बाहर निकल जाता है जिससे संक्रमण फैलने का खतरा कम होता है।
मेथी: आयुर्वेद के अनुसार मेथी अस्थमा का इलाज करने के लिए रामबाण उपाय है। इसके लिए मेथी के कुछ दानों को एक गिलास पानी में उबाल लें, जब ये एक तिहाई बचे तो इसमें शहद (asthma attack ka gharelu ilaj) और अदरक का रस मिलाकर रोज़ाना सुबह शाम इसका सेवन करें।
वहीं अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया के मुताबिक, “इंहेल्ड कोरटिकोस्टेरॉयड थेरेपी (आईसीटी) अस्थमा को नियंत्रित करने में सबसे कारगर इलाज है। डॉ. गुलेरिया के अनुसार, “अस्थमा लंबे समय तक चलने वाली बीमारी है, जिसे लंबे समय तक इलाज की जरूरत होती है। कई रोगी जब खुद को बेहतर महसूस करते हैं तो इंहेलर लेना छोड़ देते हैं। यह खतरनाक हो सकता है, क्योंकि आप उस इलाज को बीच में छोड़ रहे हैं, जिससे आप फिट और स्वस्थ रहते हैं। रोगियों को इंहेलर छोड़ने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए। अपनी मर्जी से इंहेलर छोड़ना जोखिमभरा हो सकता है।”