एक्वायर्ड इम्यूनोडिफिशिएंसी सिंड्रोम (एड्स) एक महामारी की तरह फैल रहा है। दुनिया का ऐसा कोई हिस्सा नहीं है जिसे इस बीमारी ने अपना शिकार ना बनाया हो। बीसवीं शताब्दी की शुरुआत में, यह रोग चिम्पैंजियों के जरिए मानवों में फैला था। बड़े स्तर पर रिसर्च और अध्ययन होने के बाद भी इस घातक बीमारी का कोई स्पष्ट इलाज नहीं पाया गया है। यीनाइटेड नेशन की रिपोर्ट के अनुसार, अभी इस पर बहुत शोध करने की जरुरत है। हालांकि अगर इसके बारे में आपको सही जानकारी हो तो इससे बचाव किया जा सकता है और खुद को स्वस्थ रखा जा सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के 2017 के आंकड़ों के अनुसार, 36.9 मिलियन लोग ह्यूमन इम्यूनो डिफिशिएंसी वायरस (एचआईवी) से ग्रस्त हैं।
पूरे विश्व में 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस के रूप में मनाया जाता है ताकि इस बीमारी को लेकर लोगों में जागरुकता फैलाई जा सके। आइए जानते हैं एड्स के लक्षणों, कारणों और इससे बचाव के तरीकों के बारे में।
एचआईवी क्या है:
एचआईवी एक वायरस है जो कि हमारे इम्यून सिस्टम पर अटैक करता है और इसे कमजोर कर देता है। हानिकारक एजेंट्स से लड़ने के लिए मानव के शरीर में प्राकृतिक रक्षा तंत्र होता है जिसे इम्यून सिस्टम कहते हैं। शरीर को बीमारियों से बचाने के लिए इम्यून सिस्टम सफेद रक्त कोशिकाओं को इस्तेमाल करता है। इन कोशिकाओं की सतह पर एक ग्लाइकोप्रोटीन CD4 होता है। एचआईवी वायरस CD4 को कम करता है जिसकी वजह से एचआईवी इंफेक्शन होता है।
एड्स क्या है:
एचआईवी और एड्स दोनो अलग-अलग चीजें हैं जिन्हें लोग अक्सर एक मान लेते हैं। एचआईवी वायरस के कारण एड्स होता है। जब एचआईवी इंफेक्शन अपनी आखिरी स्टेज पर पहुंचता है तो शरीर का इम्यून सिस्टम पूरी तरह से फेल हो जाता है। इस कंडीशन को एड्स कहा जाता है।
एड्स के कारण: शरीर में मौजूद द्रव्यों के कारण यह बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकती हैं जैसे
1. रक्त
2. सीमन
3. योनि स्राव
4. अनल फ्लूइड्स
5. ब्रेस्ट मिल्क
एड्स के लक्षण: एचआईवी इंफेक्शन के शुरुआती लक्षण निम्न हैं-
1. बुखार
2. ठंड लगना
3. जोड़ो में दर्द
4. मांसपेशियों में दर्द
5. गला खराब होना
6. रात में पसीना आना
7. थकान
8. लाल चकत्ते
9. ग्लैंड्स का बढ़ना
10. कमजोरी
11. वजन कम होना
एचआईवी इंफेक्शन के आखिरी स्टेज के दौरान दिखने वाले लक्षण-
1. दृष्टि का धुंधला हो जाना
2. डायरिया
3. सूखी खांसी
4. रात में पसीना आना
5. हमेशा थका होना
6. कई सप्ताह तक बुखार रहना
7. जीभ पर सफेद दाग होना
8. ना चाहते हुए वजन कम होना
9. सांस लेने में परेशानी होना
एड्स से बचाव के तरीके:
1. सुरक्षित यौन संबंध बनाएं। सेक्स के दौरान कंडोम का इस्तेमाल करें।
2. दूषित पानी का सेवन ना करें।
3. उन खाद्य पदार्थों के सेवन से बचें जिनके दूषित होने ीक संभावनाएं हों जैसे कच्चे अंडे, फलों का जूस आदि।
उपचार:
हालांकि एचआईवी एड्स के लिए कोई इलाज नहीं है, लेकिन इस वायरस को नियंत्रित करने के लिए उपचार मौजूद हैं और रोगियों को स्वस्थ और संतुलित जीवन जीने में मदद करते हैं। ऐसे उपचार में ट्रांसमिशन के रिस्क को कम करने के लिए एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (एआरटी) और एचआईवी दवाएं शामिल हैं। उपचार ना कराने पर एचआईवी से संक्रमित लोगों में टीबी, मेनिनजाइटिस, बैक्टीरियल संक्रमण और लिम्फोमा कैंसर जैसी बीमारियां होने की संभावनाएं होती हैं।
