सर्दियों के मौसम में हार्ट अटैक का खतरा अधिक बढ़ जाता है। इसका एक सबसे बड़ा कारण लाइफस्टाइल और खराब खानपान है। दरअसल, सर्दियों के मौसम में हार्ट और ब्लड वेसल्स पर ज्यादा प्रभाव पड़ता है। हाल के दिनों में युवाओं में भी हार्ट अटैक की समस्या बढ़ती जा रही है। सर्दी इसके लिए ट्रिगर का काम करती है। सर्दी के मौसम तनाव और अनहेल्दी आदतों से हृदय संबंधी समस्याएं हो जाती हैं। जब ठंड होती है, तो रक्त वाहिकाएं शरीर के तापमान को बनाए रखने के लिए अधिक मेहनत करती हैं। इससे ब्लड प्रेशर और हृदय गति बढ़ जाती है। इससे हार्ट को खून पंप करने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है। ऐसे में सर्दियों के मौसम में अपने स्वास्थ्य का खास ख्याल रखना पड़ता है।
चीफ इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट, डॉ. रोहित चोपड़ा के मुताबिक, ठंड में पसीना नहीं आता है, जिसकी वजह से शरीर से नमक बाहर नहीं निकल पाता है। ऐसे खून गाढ़ा होने लगता है और ब्लड प्रेशर बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है और अधिक ठंड पड़ने पर दिल की धमनियां सिकुड़ने लगती हैं। जिसकी वजह से हार्ट अटैक का जोखिम बढ़ जाता है।
इन समस्याओं से हार्ट अटैक का खतरा अधिक
हाई बीपी, मोटापा, शुगर, कोलेस्ट्रॉल, गठिया, यूरिक एसिड दिल के दुश्मन हैं। इनसे सर्दियों में हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। इस सभी समस्याओं में ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है और ब्लड प्रेशर बढ़ता है जो हार्ट पर दबाव डालता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 5 साल में हृदय रोग के मामले 53 प्रतिशत बढ़ गए। युवाओं में दिल की समस्याओं का सबसे बड़ा कारण अनियमित दिल की धड़कन है।
हालांकि, सिर्फ सर्दी ही नहीं बल्कि हर मौसम में दिल का ख्याल रखना जरूरी है, क्योंकि पिछले 32 वर्षों में हृदय रोग से मरने वाले लोगों की संख्या में 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। हर साल 2 करोड़ लोग हार्ट अटैक से मरते हैं। इसलिए स्वस्थ दिल के लिए 6-7 घंटे की नींद जरूरी है। इसके साथ ही हर दिन 30-40 मिनट योग करना भी जरूरी है। यह सभी एक्टिविटी हार्ट को हेल्दी रखते हैं।
हार्ट संबंधी समस्या होने पर लक्षण
सीने में दर्द जैसा महसूस होना
सांस लेने में कठिनाई
ठंडे पसीने का आना
कमजोरी या थकान
बेहोशी या चक्कर आना
पेट में दर्द और जबड़े गर्दन में अधिक दर्द होना
तनाव
जैसे-जैसे ठंड बढ़ती है, दिल पर दबाव बढ़ता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि ठंड में धमनियां सिकुड़ जाती हैं, जिससे बीपी बढ़ जाता है और दिल पर दबाव पड़ता है। इसलिए सर्दियों के दौरान दिल की बीमारियों के साथ-साथ दिल के दौरे के मामले भी बढ़ जाते हैं।
आलस्य
सर्दियों के दौरान आमतौर पर शारीरिक गतिविधि कम हो जाती है। कई लोग तो ठंड के कारण बिस्तर से उठना भी नहीं चाहते। यह आलस्य दिल के लिए खतरा बढ़ा देता है। इसके अलावा सांस लेने में कठिनाई वाले निमोनिया के रोगियों में कार्डियक अरेस्ट होने की संभावना 6 गुना अधिक होती है।
कैसे करें बचाव
- बॉडी को गर्म कपड़ों से ढककर रखें।
- फिजिकल एक्टिविटी करें।
- स्वस्थ आहार लें और ज्यादा फैट फूड्स से बचें।
- तनाव को कम करें।
- कम से कम 6-8 घंटे की नींद लें।
- अधिक पानी पीना।
सर्दियों के मौसम में हार्ट अटैक का खतरा ज्यादा होता है। हार्ट अटैक के खतरे की संभावना को कम करने के लिए इमली असरदार हो सकती है।