दिल हमारी बॉडी का अहम अंग है जिसकी सेहत का ध्यान रखना जरूरी है। तनाव, खराब डाइट और बिगड़ता लाइफस्टाइल हमारे दिल की सेहत को बिगाड़ रहा है। कम उम्र में ही लोगों की हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट के कारण मौत हो रही है। जिन लोगों को डायबिटीज की बीमारी है उन्हें दिल के रोगों का खतरा अधिक रहता है। एक्सपर्ट डायबिटीज के मरीजों को दिल की सेहत को दुरुस्त रखने की सलाह देते हैं।

डायबिटीज के मरीजों को साइलेंट हार्ट अटैक का खतरा अधिक रहता है। एक्सपर्ट के मुताबिक डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जिसमें इंसुलिन का कम उत्पादन होता है जिसकी वजह से ब्लड में शुगर का स्तर तेजी से बढ़ने लगता है। अपोलो डायग्नोसटिक के कंसल्टेंट पैथोलॉजिस्ट, डॉक्टर निरंजन नायक ने बताया कि डायबिटीज के मरीजों में शुगर बढ़ने पर बॉडी में लक्षण दिखना शुरू हो जाते हैं।

शुगर बढ़ने के कुछ लक्षण जैसे प्यास अधिक लगना, यूरिन अधिक डिस्चार्ज होना, भूख ज्यादा लगना, वजन में बदलाव आना, घाव का जल्दी नहीं भरना, हाथ-पैरों में झुनझुनी होना, थकान और आंखों से कम दिखाई देना शामिल हैं। अब सवाल ये उठता है कि आखिर डायबिटीज और दिल के रोगों का संबंध कैसे हैं। आइए जानते हैं कि डायबिटीज के मरीजों में क्यों बढ़ रहा है साइलेंट हार्ट अटैक का खतरा।

साइलेंट हार्ट अटैक क्या हैं?

साइलेंट हार्ट अटैक वह होता है जो बिना किसी लक्षण के होता है और जिसके बारे में कोई जानकारी नहीं होती। अगर किसी को साइलेंट हार्ट अटैक होता है तो उसे सीने में दर्द के साथ ही जलन भी महसूस होती है। कमजोरी और थकान महसूस होती है। लोग इसे अटैक के बजाय एसिडिटी, अपच, डीहाइड्रेशन, थकान की वजह मान लेते हैं।

डायबिटीज और दिल के रोगों का क्या संबंध है?

इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट, मसीना अस्पताल, मुंबई की डॉ रुचित शाह ने बताया है कि यह अनुमान लगाया गया है कि 50 से 60 प्रतिशत तक डायबिटीज के मरीजों को दिल के रोगों का खतरा रहता है। डायबिटीज के मरीजों में ब्लॉक विकसित होने का खतरा ज्यादा रहता है।

ब्लॉक का मतलब कोरोनरी धमनियों, ब्रेन की धमनियों और किडनी में ब्लड सर्कुलेशन की गति का धीमा होना शामिल है। मधुमेह की यह पूरी निरंतरता पूरे शरीर की वाहिकाओं में रक्त के प्रवाह में रुकावट पैदा करती है, जिसे ‘एथेरोस्क्लोरोटिक हृदय रोग’ कहा जाता है। ये सभी रोग आमतौर पर एक साथ मौजूद होते हैं जिसमें डायबिटीज, दिल के रोगों, स्ट्रॉक और किडनी की बीमारियां, पैरीफेरव वस्कुलर डिजीज और आंख की रेटिना की समस्याएं हो सकती हैं। हाई ब्लड शुगर का स्तर रक्त वाहिकाओं और दिल को कंट्रोल करने वाली नसों को नुकसान पहुंचाता है। हाई ब्लड प्रेशर धमनियों के जरिए ब्लड के फॉर्स को बढ़ाता है और धमनी की दीवारों को नुकसान पहुंचाता सकता है।