बीते कुछ समय से कार्डियक अरेस्ट और हार्ट अटैक से हुई मौत के मामलों में बड़ा इजाफा देखने को मिला है। वहीं, आपने गौर किया होगा कि इनमें से भी ज्यादातर लोगों को बाथरूम में रहते हुए कार्डियक अरेस्ट या हार्ट अटैक आता है, लेकिन क्या आप इसके पीछे की वजह जानते हैं? क्या आप जानते हैं कि आखिर बाथरूम में ही ज्यादातर हार्ट अटैक क्यों आते हैं? अगर नहीं, तो इस लेख में हम आपको इसके पीछे के संभावित कारण बता रहे हैं।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?
मामले को लेकर शालीमार बाग के फोर्टिस अस्पताल में कार्डियोलॉजी और इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी के निदेशक और यूनिट प्रमुख डॉ. नित्यानंद त्रिपाठी ने इंडियन एक्सप्रेस संग हुई एक खास बातचीत के दौरान बताया, ‘ इस बात में कोई दोराय नहीं है कि बाकी जगहों से अलग बाथरूम में दिल के दौरा पड़ने या कार्डियक अरेस्ट आने की संभावना अधिक रहती है। नेशनल सेंटर फॉर बॉयोटेक्नोलॉजी इंफोर्मेशन (NCBI) की रिपोर्ट में भी कहा गया है कि 11 फीसदी से ज्यादा हार्ट अटैक के केस बाथरूम में होते हैं। इसके पीछे कई कारण जिम्मेदार हैं।
सबसे पहले यह समझ लेते हैं कि आखिर कार्डियक अरेस्ट और हार्ट अटैक है क्या-
डॉ. नित्यानंद त्रिपाठी के मुताबिक, कार्डियक अरेस्ट एक ऐसी स्थिति है जहां हृदय धड़कना बंद कर देता है, जिससे शरीर के बाकी अंगों को ऑक्सीजन युक्त रक्त नहीं मिल पाता है और इस तरह ये मौत का कारण बन जाता है। दूसरी ओर, दिल का दौरा पड़ने पर रक्त वाहिका में अचानक थक्का बनने के कारण हृदय के एक हिस्से को ऑक्सीजन युक्त रक्त मिलना बंद हो जाता है। यानी ये दोनों ही स्थिति जीवन के लिए खतरा हैं।
बाथरूम क्यों है हॉट स्पॉट?
इसे लेकर डॉक्टर बताते हैं, बाथरूम कई कारणों से हार्ट अटैक का हॉट स्पॉट बन जाता है। इनमें भी ज्यादातर हार्ट अटैक या अचानक हृदय गति रुकने के मामले मल त्याग या मूत्र के समय होते हैं। दरअसल, कई बार मल-मूत्र त्यागने के दौरान लोग अधिक जोर लगाने लगते हैं, खासकर कब्ज की शिकायत होने पर पेट साफ करने के लिए ज्यादा स्ट्रेन करते हैं, ऐसी स्थिति में दबाव के कारण ऑटोमेटिक नर्वस सिस्टम में संवेदनाओं का संतुलन बिगड़ जाता है और रक्तचाप कम हो जाता है। इस असंतुलन की वजह से मस्तिष्क में रक्त प्रवाह भी कम हो जाता है और इससे बेहोशी आ जाती है। वहीं, हार्ट अटैक एक मेडिकल इमरजेंसी होती है, जिसमें लोगों को तुरंत मदद की जरूरत होती है, जबकि बाथरूम बहुत प्राइवेट स्थान होता है और वहां मरीज तक पहुंचने के चांस भी कम रहते हैं, ऐसे में जान जाने का खतरा अधिक बढ़ जाता है।
अन्य कारणों को लेकर बात करते हुए डॉ. नित्यानंद त्रिपाठी बताते हैं, हार्ट अटैक, कार्डियक अरेस्ट की स्थिति में ऑटोमेटिक नर्वस सिस्टम प्रभावित होता है। इसके चलते अचानक तबीयत बिगड़ने, चक्कर आने या उल्टी आने के कारण भी व्यक्ति बाथरूम की तरफ अधिक तेजी से जाता है और ऐसे में भी वह बेहोश हो सकता है।
इससे अलग नहाते हुए भी इसका खतरा अधिक रहता है। ज्यादा ठंडे या गर्म पानी से नहाने की वजह से हृदय गति और ब्लड प्रेशर पर सीधा असर पड़ता है। खासकर अगर आप ज्यादा ठंडे पानी से नहाते हैं, तो शरीर का सारा रक्त मस्तिष्क की ओर प्रवाहित होने लगता है। इससे रक्त नलियों और धमनियां में तनाव बढ़ जाता है और ये भी बाथरूम में हृदय संबंधी गड़बड़ियां होने का कारण बन जाता है।
बरतें ये सावधानी
- डॉ. नित्यानंद त्रिपाठी खासकर हृदय रोगियों को शौच या मूत्र त्याग करते समय ज्यादा जोर नहीं लगाने की सलाह देते हैं।
- हमेशा नॉर्मल पानी से ही स्नान करें और इस दौरान भी सीधे सिर पर पानी न डालें, इससे अलग पहले पैरों या कंधों को धोना शुरू करें फिर धीरे-धीरे ऊपर की ओर बढ़ें।
- बाथरूम/शौचालय में खासकर सर्दियों में ठंडे वातावरण के संपर्क में आने से बचें, इससे भी दिल का दौरा पड़ने के चांस बढ़ जाते हैं।
- अगर आपको पहले भी दिल का दौरा पड़ चुका है, आप बीपी के मरीज हैं, आपकी उम्र अधिक है या आपकी हृदय पंप करने की शक्ति कमजोर है, तो शौचालय का उपयोग करते समय दरवाजा बंद न करें।
Disclaimer: आर्टिकल में लिखी गई सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य जानकारी है। किसी भी प्रकार की समस्या या सवाल के लिए डॉक्टर से जरूर परामर्श करें।

