ख़राब लाइफ़स्टाइल ना सिर्फ़ सेहत ख़राब करता है बल्कि कई बीमारियों का शिकार भी बनाता हैं। लंग्स कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसके लिये ख़राब डाइट और बिगड़ता लाइफ़स्टाइल पूरी तरह ज़िम्मेदार है। स्मोकिंग करने वाले लोगो में इस बीमारी का ख़तरा अधिक रहता है लेकिन ऐसे कई मामले सामने आये हैं जिसमें लंग्स कैंसर से पीड़ित लोग स्मोकिंग नहीं करते। हाल ही में 43 वर्षीय बिग बैंग थ्योरी अभिनेता केट मिकुची ने टिकटॉक में बताया कि सिगरेट न पीने के बावजूद उन्हें फेफड़ों का कैंसर हो गया है,जो चौंकाने वाली बात है।

मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में ऑन्कोलॉजी के निदेशक डॉ. राजेश मिस्त्री, जो सालों से फेफड़ों के कैंसर के मामलों पर नज़र रख रहे हैं, का कहना है कि उनके 65 प्रतिशत रोगियों में तंबाकू और धूम्रपान का इतिहास रहा है, जबकि 35 प्रतिशत लोगों में स्मोकिंग की कोई हिस्ट्री नहीं है।

एक्सपर्ट ने बताया कि यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ने भी कहा है कि पांच में से एक मामला ऐसा सामने आता है जिसमें पीड़ित इंसान ने कभी धूम्रपान नहीं किया या जिन्होंने अपने पूरे जीवनकाल में 100 से कम सिगरेट पी थी। एक्सपर्ट के मुताबिक लंग्स कैंसर तेज़ी से युवाओं को अपनी चपेट में ले रहा है, अगर समय रहते इस बीमारी की पहचान नहीं की जाये तो जान को ख़तरा भी हो सकता है। आइए जानते हैं कि इस बीमारी के लक्षण कौन कौन से है और बिना स्मोकिंग किए युवा इस बीमारी का शिकार हो रहे हैं।

बिना स्मोकिंग किए कैसे युवा हो रहे हैं लंग्स कैंसर का शिकार?

डॉक्टर मिस्त्री ने बताया कि लंग्स कैंसर के लिए स्मोकिंग जिम्मेदार है लेकिन धूम्रपान के अलावा भी इस बीमारी के लिए कई बड़े जोखिम कारक हैं। पर्यावरण प्रदूषण भी इस बीमारी के लिए जिम्मेदार है। हालांकि पिछले कुछ समय से खुले में पर धूम्रपान पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, लेकिन उसके अलावा भी पर्यावरण प्रदूषकों जैसे डीजल,बेंजीन, आर्सेनिक, सिलिका जैसे अन्य कार्सिनोजेन्स से इस बीमारी का खतरा बढ़ता है।

एक्सपर्ट के मुताबिक वायुमंडल में कणों पर बहुत सारे कार्सिनोजन तैर रहे हैं जो सेहत को नुकसान पहुंचा रहे हैं। कई रिसर्च में ये बात सामने आई है कि वायु प्रदूषण फेफड़ों के कैंसर का कारण बनता है। वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। वायु प्रदूषण का मतलब बाहरी या इनडोर वायु प्रदूषण हो सकता है। वायु प्रदूषण कैंसर के साथ-साथ श्वसन और हृदय रोग के खतरे को बढ़ा सकता हैं। डॉ. मिस्त्री बताते हैं कि वायु प्रदूषकों के संपर्क की मात्रा, सीमा और अवधि और व्यक्ति की आनुवंशिक पृष्ठभूमि लंग्स कैंसर के लिए जिम्मेदार है।

लंग्स कैंसर के लक्षण

अलग-अलग लोगों में फेफड़ों के कैंसर के अलग-अलग लक्षण होते हैं। कुछ लोगों में फेफड़ों से संबंधित लक्षण होते हैं तो कुछ लोगों की बॉडी में ये कैंसर शरीर के अन्य हिस्सों में फैल जाता है। फेफड़ों के कैंसर से पीड़ित अधिकांश लोगों में कैंसर के बढ़ने तक लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। लंग्स कैंसर के लक्षणों की बात करें तो इसमें

  • खांसी जो बहुत ज्यादा होती है और जाती नहीं है।
  • छाती में दर्द।
  • सांस लेने में कठिनाई।
  • सांस में घरघराहट होना।
  • खांसी के साथ खून आना
  • हर वक्त बहुत ज्यादा थकान महसूस होना।
  • बेवजह वजन का कम होना।

धूम्रपान न करने वालों में फेफड़ों के कैंसर की पहचान कैसे की जाएं?

डॉ. मिस्त्री के अनुसार स्क्रीनिंग केवल हाई जोखिम वाले समूहों और धूम्रपान करने वालों पर लागू होती है। इसलिए लंबे समय तक सीने में तकलीफ, लगातार खांसी या बलगम में खून को नजरअंदाज न करें। फेफड़ों के कैंसर की सर्जरी की सलाह केवल शुरुआती निदान के मामलों में ही की जाती है। एक बार जब कैंसर छाती के बाहर फैल जाता है, तो इसके उपचार का कोई विकल्प नहीं बचता।