डायबिटीज एक तरह की मेटाबॉलिक डिसीज है, जिसमें ब्लड शुगर लेवल अनियंत्रित रूप से घटता-बढ़ता रहता है। वहीं अगर यदि खून में ग्लूकोज का स्तर सामान्य से अधिक है लेकिन डायबिटीज की सीमा तक नहीं पहुंचा है, तो इसे ‘प्री-डायबिटीज’ कहा जाता है। एमफाइन की वरिष्ठ प्रबंधक और मधुमेह रोग विशेषज्ञ, डॉ अभिशिता मुदुनुरी, ने बताया, “नेशनल अर्बन डायबिटीज सर्वे के मुताबिक, भारत में प्री-डायबिटीज का अनुमानित प्रसार 14 प्रतिशत है, लेकिन 2045 तक इसके वैश्विक प्रसार में 51 प्रतिशत वृद्धि होने का अनुमान है। ऐसे में युवा प्री डायबिटीज की पहचान कर, इसे उलट सकते हैं।”

विशेषज्ञ बताते हैं कि डायबिटीज की बीमारी रातों-रात विकसित नहीं होती बल्कि पर्यावरणीय और खराब स्वास्थ्य स्थिति इसे बढ़ावा देती हैं। प्री-डायबिटीज, मधुमेह का शुरुआती चरण है। यह हमारे शरीर में इंसुलिन प्रतिरोध की स्थिति है, जिसे अगर नजरअंदाज कर दिया जाए तो टाइप-2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है।

प्री डायबिटीज के लक्षण:
-स्किन पिग्मेंटेशन, जिसे एन्थोसिस नाइग्रिकन्स के रूप में भी जाना जाता है। इस स्थिति में गर्दन और बगल के चारों और काले धब्बे दिखने लगते हैं।
-बढ़े हुए वजन को कम करने में परेशानी।
-पेट की चर्बी बढ़ना।
-गर्दन के आसपास स्किन टैग।
-मीठा खाने का मन करना।
-एनर्जी कम होना।
-अधिक कार्बोहाइड्रेट वाला भोजन करने के बाद नींद जैसा महसूस करना।
-शरीर में पुराना दर्द या सिरदर्द
-महिलाओं में विशेष रूप से PCOS के हार्मोन्स में असंतुलन।

यदि आपको इनमें से कोई भी लक्षण महसूस हो रहा है तो आप तुरंत प्री-डायबिटीज की जांच के लिए अपने डॉक्टर से सलाह लें।

बचाव के उपाय:

डॉ अभिशिता मुदुनुरी ने बताया की लाइफस्टाइल में बदलाव कर, प्री-डायबिटीज की स्थिति को ठीक किया जा सकता है।

प्री-डायबिटीज के मरीजों को अपने खाने से 30 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट को कम कर देना चाहिए। इस बात का ध्यान रखें की डाइट के लिए कार्बोहाइड्रेट आवश्यक नहीं है बल्कि प्रोटीन और फैट आवश्यक है।

-इंटरमीटेंट फास्टिंग अपनाएं। यह तरीका फैट को तोड़ने का काम करेगा और साथ ही इंसुलिन प्रतिरोध की स्थिति को भी उलटने में मदद करेगा।

-प्री-डायबिटीक मरीजों का शारिरिक गतिविधि करना बेहद ही महत्वपूर्ण होता है। हर दिन 1000 कदम चलें और 45 मिनट तक योगाभ्यास करें।