डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जिसके मरीजों की संख्या में तेजी से इज़ाफा हो रहा है। देश और दुनिया में लगभग कोविड-19 वायरस का कहर खतम हो गया है लेकिन क्रॉनिक डिजीज तेजी से बढ़ने लगे हैं, जैसा कि हाल के कुछ अध्ययनों ने बताया है। इंटरनेशनल जर्नल लैंसेट में प्रकाशित ICMR के एक हालिया अध्ययन में कहा गया है कि भारत में 101 मिलियन डायबिटीज के मरीज़ है। इनमें से 136 मिलियन लोग प्रीडायबिटिक हैं या बीमारी होने की कगार पर हैं।
खराब डाइट और बिगड़ते लाइफस्टाइल की वजह से पनपने वाली इस क्रॉनिक बीमारी के लक्षणों की बात करें तो भूख का ज्यादा लगना,प्यास ज्यादा लगना,यूरीन का अधिक डिस्चार्ज होना और घाव का देर से भरना प्रमुख लक्षण हैं। डायबिटीज के मरीजों में शुगर बढ़ने का असर उनके पैरों पर भी अधिक दिखता है।
डायबिटीज फुट अल्सर एक ऐसी बीमारी है जो शुगर के मरीजों को बेहद परेशान करती है। ये परेशानी कई कारणों जैसे जेनेटिक हो सकती है, खराब फिटिंग के जूते पहनने से,पैरों की साफ-सफाई का ध्यान नहीं रखने से और वैरिकाज वेंस की वजह से पनपती है। इस बीमारी की वजह से पैरों में छाले,घाव,स्किन के रंग में बदलाव,पस,दर्द,रेडनेस और सूजन आ सकती है। पैरों में होने वाली ये समस्याएं डायबिटीज के मरीजों के लिए खतरनाक साबित हो सकती हैं और फुट अल्सर का रूप ले सकती हैं।
हेल्थलाइन की खबर के मुताबिक दुनिया भर में लगभग 15 से 25 फीसदी लोग डायबिटीज फुट अल्सर के शिकार है। आइए जानते हैं कि डायबिटीक फुट अल्सर क्या है, जिससे डायबिटीज के मरीज ज्यादा परेशान रहते हैं। अब सवाल ये उठता है कि इस बीमारी के लक्षणों की पहचान कैसे करें और बचाव भी।
डायबिटिक फुट अल्सर क्या है?
डायबिटिक फुट अल्सर में पैरों की फटी हुई सूखी स्किन दिखना,पैरों के आस- पास छोटे से कट के निशान आना, पैर के अंगूठे पर घाव होना शामिल है। ये घाव अगर लम्बे समय तक ठीक नहीं होता तो अंग तक काटने की नौबत आ सकती है। इस परेशानी से बचने के लिए ब्लड शुगर को नॉर्मल रखना जरूरी है।
डायबिटिक फुट अल्सर के लक्षण कौन-कौन से हैं:
- पैरों की स्किन का रंग का बदलना
- पैरों का सुन्न होना और सनसनाहट महसूस होना,
- पैरों में संवेदनशीलता कम होना,
- पैरों में घाव होना
- पैरों के घाव का रिसना
- चलने में पैरों में दर्द होना शामिल है।
डायबिटिक फुट अल्सर का उपचार कैसे करें:
- डायबिटीज फुट अल्सर से परेशान हैं तो आप स्किन की साफ-सफाई का ध्यान रखें।
- घाव पर पट्टी बांध कर रखें।
- लूज शूज पहने।
- पैर की गंदी स्किन को काट कर साफ कर दें।
- गंभीर स्थिति में संक्रमण का इलाज सर्जरी से किया जाता है।