अक्सर सामान्य फ्लू की वजह के सिरदर्द नाक बंद होने की समस्या होती है, लेकिन अगर ये समस्या कुछ दिनों तक लगातार बनी रहे तो इसे नजरंदाज नहीं करना चाहिए। विशेषज्ञों के मुताबिक यह साइनस का लक्षण हो सकता है। साइनस को साइनोसाइटिस भी कहा जाता है।
क्यों होता है साइनस? : हमारे मस्तिष्क में कई छेद होते हैं, जो सांस लेने में हमारी मदद करते हैं। खोपड़ी में मौजूद इन छोटे छिद्रों को ही साइनस कहा जाता है। जब इन छिद्रों में बलगम भर जाता है और इंसान को सांस लेने की प्रक्रिया में दिक्कतें आनी लगती है तो इस बीमारी को साइनोसाइटिस अथवा साइनस कहते हैं।अक्सर इंफेक्शन के कारण साइनस की झिल्ली में सूजन आ जाती है जिससे ये बीमारी होती है। इस बीमारी में नाक की हड्डी बढ़ जाती है अथवा टेढ़ी हो जाती है।
साइनस के प्रमुख लक्षण: सिरदर्द, बुखार रहना, खांसी होना या कफ़ का जम जाना, नाक से सफेद अथवा पीला कफ निकलना आदि इसके लक्षण हैं। इसके अलावा चेहरे पर सूजन आना, किसी प्रकार का गंध महसूस न कर पाना भी इसके लक्षण माने जाते हैं।
साइनस के प्रकार:
– एक्यूट साइनस – यह बैक्टेरियल इंफेक्शन के कारण होता है जिसमें सांस की नली के उपरी हिस्से में इंफेक्शन हो जाता है। इसमें नाक में सूजन आ जाती है जिसके उपचार के लिए नेज़ल ड्रॉप्स डाली जाती है। डॉक्टर आपको एंटीबायोटिक दवाएं लेने की सलाह देते हैं। भाप लेने से पीड़ित व्यक्ति को आराम मिलता है। यह समस्या आमतौर पर 4 हफ़्ते तक बनी रहती है।
– सब एक्यूट साइनस – इसमें व्यक्ति को 4 से 8 हफ़्ते तक मस्तिष्क के साइनस झिल्ली में सूजन और जलन रहता है। इसका इलाज के लिए डॉक्टर्स वहीं तरीका अपनाते हैं जो एक्यूट साइनस के लिए अपनाया जाता है।
– क्रोनिक साइनस – इसमें लंबे समय तक साइनस में जलन और सूजन रहता है। इस तरह के साइनस में नाक में दर्द रहता है और नाक के रास्ते को साफ करने की आवश्यकता होती है। अगर सालों तक यह समस्या बनी रहती है तो यह अस्थमा में भी तब्दील हो सकती है।
– रिकरंट साइनस – अगर आपको एलर्जी से संबंधित कोई बीमारी है अथवा दमा या अस्थमा है तो आपको ये समस्या हो सकती है। इसमें डॉक्टर मरीज़ की स्थिति के अनुसार दवा लेने की सलाह देते हैं। ध्यान देने वाली बात यह है कि अगर आप शुरुआती समय में ही डॉक्टर से सलाह लेते है तो दवाओं से इसका इलाज किया जा सकता है। इलाज में देर होने पर आपको सर्जरी भी करवानी पड़ सकती है।