Weak Immunity Symptoms: कोरोना वायरस के इस दौर में मजबूत इम्युनिटी बेहद जरूरी है। रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए लोग तमाम कोशिशें करते हैं। सिर्फ कोविड से बचने में ही नहीं, बल्कि संपूर्ण स्वास्थ्य को बरकरार रखने के लिए इम्युनिटी का स्ट्रॉन्ग होना जरूरी है। बदलते मौसम में होने वाली बीमारियां, इंफेक्शन व एलर्जी से बचाव हेतु भी रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होनी चाहिए। इम्युनिटी मजबूत होने पर किसी भी बीमारी का  खतरा कम हो जाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक WBCs, लिम्फ नोड्स और एंटी-बॉडीज़ की मदद से इम्युन सिस्टम बनता है जो बाहरी संक्रमण से शरीर का बचाव करता है।

थकान: कमज़ोर इम्युनिटी के कारण लोगों को थकान की शिकायत भी होती है। पूरी नींद लेने के बावजूद जिन लोगों को ऊर्जा की कमी महसूस होती है, ऐसा रोग प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर होने का संकेत हो सकता है। माना जाता है कि प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर होने से बॉडी में एनर्जी की कमी हो जाती है। रात को कम नींद और दिन भर सिर भारी लगना भी इस ओर इशारा करता है।

जोड़ों में दर्द: जिन लोगों को लगातार जोड़ों में दर्द की शिकायत होती है तो बता दें कि ये कमज़ोर इम्युनिटी की ओर इशारा करते हैं। लंबे समय तक इम्युन सिस्टम जिनका कमज़ोर होता है उन्हें वास्कुलाइटिस की परेशानी हो जाती है। इस स्थिति में ब्लड वेसल्स में सूजन आ जाती है। साथ ही स्वास्थ्य विशेषज्ञ मानते हैं कि इससे जोड़ों में सूजन और अकड़न भी हो जाती है, यहां तक कि आपका चेहरा भी सूज सकता है।

गले में खराश: सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के अनुसार अगर आपको एक साल में 4 या उससे अधिक बार खांसी-जुकाम होता है तो ये कमज़ोर इम्युनिटी का संकेत हो सकता है। नाक बहना और गले में खुजली भी कमज़ोर रोग प्रतिरोधक क्षमता का लक्षण होता है।

तनाव: जिन लोगों हाई लेवल स्ट्रेस होता है, उनकी इम्युनिटी कमज़ोर हो सकती है। डॉक्टर्स मानते हैं कि तनाव के स्तर को नज़रअंदाज करने से लंबे समय के लिए लोगों की इम्युनिटी प्रभावित होती है। स्ट्रेस शरीर में WBCs व लिम्फोसाइट्स के निर्माण को कम करती हैं। बता दें कि ये दोनों तत्व ही शरीर को इंफेक्शन व बीमारियों के खतरे से बचाते हैं।

चोट से उबरने में समय लगना: चोट से उबरने में अगर समय ज्यादा लग रहा है तो समझ लीजिए कि आपकी इम्युनिटी कमज़ोर है। बता दें कि आमतौर पर कहीं भी कटने या जलने पर स्किन सेल्स तुरंत उपचार में जुट जाते हैं। इससे कुछ ही दिनों में नई चमड़ी आनी शुरू हो जाती है। हालांकि, अगर इस प्रक्रिया में देरी हो रही है तो ऐसा रोग प्रतिरोधक क्षमता में खराबी के कारण हो सकता है।