फैटी लिवर की समस्या आमतौर पर खानपान के कारण होने वाली समस्या है। आजकल बदलती जीवनशैली और गलत खानपान के कारण यह बीमारी युवाओं में तेजी से देखने को मिल रही है। हम सभी जानते हैं कि हमारे शरीर के लिये पोषक तत्वों की तरह विटामिन डी बेहद आवश्यक है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार इसकी कमी के कारण हड्डियों, मांसपेशियों, काफी नींद आना, रक्त चाप का अधिक होना, दांतों संबंधी समस्याएं होने के साथ ही तनाव, थकान, अत्यधिक भूख और प्यास लगना आदि परेशानियां हो जाती हैं।
जबकि नॉन-एल्कोहलिक फैटी लिवर की समस्या एक यकृत संबंधी विकार है, जिसमें लिवर पर वसा यानी फैट इक्ट्ठा हो जाता है, इस स्थिति को फैटी लिवर कहा जाता है। फैटी लिवर की समस्या में लिवर सिकुड़ जाता है और वह अपना काम ठीक तरह से नहीं कर पाता।
नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर की बीमारी होने के पीछे का एक मुख्य कारण अधिक वजन, मोटापा, गड़बड़ जीवनशैली और डायबिटीज हो सकती है। लेकिन क्या आपको पता है कि विटामिन-डी की कमी और नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर की समस्या एक दूसरे से भी संबंधित हैं। आइए जानते हैं इससे बचाव के उपाय-
पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थ लें: विटामिन-डी की कमी और नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर के दोनों के आपसी संबंध का प्रभाव पुरुषों के मुकाबले ज्यादातर महिलाओं में देखने को मिला है। पुरुषों में मोटापे के कारण यह समस्या थोड़ी जटिल हो सकती है लेकीन विटामिन डी की कमी भी नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर की समस्या को बढ़ा सकती है।
विटामिन डी के स्रोत: यह हमें दो स्रोत से मिलता है- पहला सूर्य और दूसरा हमारे भोजन से, डाइट की बात करें तो मछली, जैसे कि साल्मन, टूना आदि में विटामिन डी प्रचुर मात्रा में मिलती है। विटामिन डी हमें फुल क्रीम मिल्क, मक्खन, घी के अलावा कुछ प्रकार के मशरूम से भी प्राप्त होता है। इसी के साथ सुबह 9 से 2 बजे के बीच में कुछ समय धूप में खड़े होना चाहिए ताकि शरीर को जरूरी विटामिन डी मिल सके।
मीठे से परहेज: फैटी लिवर की समस्या से पीड़ित मरीजों को अधिक मीठे के सेवन से बचना चाहिए। उन्हें अधिक चॉकलेट, मिठाई, कोल्ड ड्रिंक या फिर केक और पेस्ट्री आदि चीजें खाने से परहेज करना चाहिए। क्योंकि इन चीजों में शुगर की मात्रा बहुत अधिक होती है। जरूरत से ज्यादा मीठे का सेवन करने से फैटी लिवर की समस्या बढ़ सकती है।