UK patient ‘free’ of HIV: कुछ समय पहले लंदन का एक एड्स का मरीज इस बीमारी से मुक्त हुआ। रिपोर्ट के अनुसार उसने स्टेम सेल्स ट्रांसप्लांट करवाया जिसके बाद उसके शरीर में मौजूद एड्स का वायरस खत्म हो गया। यह खबर उन सभी मरीजों के लिए एक खुशखबरी है जो एड्स से ग्रसित हैं। लगभग 12 साल पहले भी एक ऐसी ही खबर आई थी। बर्लिन में एक एड्स के मरीज की इसी प्रकार इलाज हुई थी जिसके बाद उसे एड्स मुक्त करार दिया गया था। हालांकि वैज्ञानिकों ने यह बात साफ कही है कि अब इस बात को कहना गलत है कि एड्स के वायरस को खत्म करने के लिए इलाज की खोज हो गई है। हां लेकिन यह बात भी साफ हो गई है कि इस घटना से डॉक्टरों को काफी प्रेरणा मिली है।
एड्स से हुए इतने लोग शिकर:
UNAIDS के अनुसार, 2017 में लगभग 3.6 लोग एड्स के शिकार हुए थे। जिनमें से लगभग 18 लाख 15 साल से कम उम्र के बच्चे थे। ये बच्चे अफ्रीकी महाद्वीप के इलाकों में रहते थें। 2015 में भारत में लगभग 21 लाख लोग एड्स के शिकार हुए थे।
लंदन के मरीजों में क्या खास बात थी:
लंदन के इस मरीज की घटना एड्स वायरस से मुक्त होने की पहली घटना नहीं है। लगभग 12 पहले भी एक ऐसी घटना सामने आई थी और वैज्ञानिकों ने तक से एड्स के वायरस को खत्म करने की खोज शुरू कर दी। वैज्ञानिकों ने एड्स के वायरस को खत्म करने की सही पुष्टि कर दी है।
लेकिन इन दोनों मरीजों में एक खास बात यह थी कि दोनों कैंसर के शिकार हो गए थे। यह एड्स के मरीजों के लिए एक आम समस्या है। इन दोनों मरीजों ने कैंसर के इलाज के लिए स्टेम सेल्स ट्रांसप्लांट का तरीका अपनाया गया था। स्टेम सेल्स हमारी बॉडी का वो सेल है जिसके कारण बाकी सारी कोशिकाएं भी विकसित होने लगती है। जब स्टेम सेल्स ट्रांसप्लांट होता है तो कैंसर के सेल्स का विकास रूक जाता है और कोशिकाएं भी खत्म हो जाती हैं।
यह सेल्स कैसे काम करता है?
CCR5 एचआईवी -1 द्वारा सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला रिसेप्टर है। एचआईवी का वायरस दुनिया भर में हावी है और यह कोशिकाओं में प्रवेश करने के लिए तैयार है। लेकिन बहुत कम संख्या में लोग जो एचआईवी के प्रतिरोधी हैं, उनके पास CCR5 रिसेप्टर की दो उत्परिवर्तित प्रतियां हैं। इसका मतलब यह है कि वायरस शरीर में कोशिकाओं में प्रवेश नहीं कर सकता है कि यह सामान्य रूप से संक्रमित करता है।
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