खराब लाइफस्टाइल हमें कई तरह से नुकसान पहुंचा रही है। वहीं, इसके चलते यूरिक एसिड की समस्या भी आम हो गई है। अमूमन हर उम्र का व्यक्ति आज हाई यूरिक एसिड के चलते जोड़ों में असहनीय दर्द, अकड़न, सूजन या गाउट की परेशानी से जूझ रहा है। यूरिक एसिड के बढ़ने से हमारी हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और इसका बुरा असर हमारी किडनी पर भी पड़ता है। इसके अलावा हाई यूरिक एसिड लेवल डायबिटीज की वजह भी बन सकता है।
क्या होता है यूरिक एसिड?
यूरिक एसिड हमारे खून में पाया जाने वाला एक अपशिष्ट उत्पाद है जो प्यूरीन नामक रसायन के टूटने पर बनता है। वैसे तो यूरिक एसिड किडनी द्वारा फिल्टर होकर यूरिन के जरिए शरीर से बाहर निकल जाता है, लेकिन हाई लेवल में पाए जाने पर ये जोड़ों में क्रिस्टल के रूप में जमा होने लगता है। इसकी वजह से हड्डियों के बीच में गैप हो जाता है, हड्डियां बेहद कमजोर हो जाती हैं और व्यक्ति को चलने फिरने में भी परेशानी का सामना करना पड़ता है। ऐसे में यूरिक एसिड को कंट्रोल करना बेहद जरूरी है।
कैसे करें यूरिक एसिड को कंट्रोल?
यूरिक एसिड कम करने के लिए तमाम तरह की दवाएं और मेडिकल ट्रीटमेंट उपलब्ध हैं। हालांकि, आप चाहें तो इसके लिए आयुर्वेद का सहारा भी ले सकते हैं। आयुर्वेदिक उपाय आपको इस परेशानी से निजात दिलाने में तो मदद करेंगे ही, साथ ही इनके बॉडी पर किसी अन्य तरह के साइड इफेक्ट होने का खतरा भी ना के बराबर होता है। इसी कड़ी में हम आपको 3 ऐसी जड़ी बूटी बताने जा रहे हैं, जिनकी मदद से आप बेहद आसानी से हाई यूरिक एसिड की समस्या से छुटकारा पा सकते हैं।
त्रिफला:
त्रिफला यूरिक एसिड का बढ़िया उपचार है। ये आयुर्वेद की तीन सबसे शक्तिशाली जड़ी बूटियों विभीतकी, हरीतकी और आंवला से मिलकर बनता है। त्रिफला के एंटीऑक्सिडेंट, एंटी बैक्टीरियल और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण इसे मजबूत औषधि बनाते हैं और इसके चलते ये यूरिक एसिड के क्रिस्टल को पिघलाकर तोड़ने में असरदार साबित होता है। सुबह के समय हर रोज खाली पेट पानी के साथ त्रिफला पाउडर का सेवन, हाई यूरिक एसिड की समस्या से निजात पाने में मददगार साबित हो सकता है।
गिलोय:
गिलोय आयुर्वेद की सबसे शक्तिशाली और प्रभावी जड़ी बूटी में से एक है। इसमें एंटी इंफ्लेमेटरी, एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-स्पास्मोडिक, एंटी-एलर्जिक, एंटी-एचआईवी और एंटीकैंसर जैसे गुण पाए जाते हैं। वहीं, वैसे तो गिलोय का इस्तेमाल इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने के लिए किया जाता है। हालांकि, कई अध्ययनों में इस बात का खुलासा हुआ है कि गिलोय के तने से निकला रस गाउट के इलाज के लिए भी काफी फायदेमंद है। ये रस शरीर में बढ़े हुए यूरिक एसिड के लेवल को बेअसर कर जोड़ों के दर्द, सूजन या अकड़न से तुरंत आराम दिलाने में मददगार साबित हो सकता है।
पत्थरचट्टा:
चट्टान से निकलने वाले इस पौधे को एयर प्लांट, कैथेड्रल बेल्स, लाइफ प्लांट और मैजिक लीफ के नाम से भी जाना जाता है। वहीं, जैसा की नाम से साफ है, ये पौधा कई तरह की बीमारियों पर किसी मैजिक की तरह ही काम करता है। इस पत्ते की मदद से बवासीर, डायबिटीज, पथरी, पेट दर्द, स्किन पर हुए किसी भी तरह के घाव, वजाइनल इंफेक्शन, खूनी दस्त, हाई ब्लड प्रेशर जैसी तमाम तरह की परेशानियों से निजात पाई जा सकती है। इन सब के अलावा ये हाई यूरिक एसिड को कम कर किडनी को दुरुस्त बनाने का काम भी करता है। हर रोज खाली पेट पत्थरचट्टा के 2 पत्तों का सेवन हमारे शरीर को कई तरह की बीमारियों से लड़ने में सक्षम बना सकता है। इसके अलावा आप चाहें, तो पत्थरचिट्टा के पत्तों का रस निकालकर उसमें सौंठ का चूर्ण मिलाकर भी इसका सेवन कर सकते हैं।
Disclaimer: आर्टिकल में लिखी गई सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य जानकारी है। किसी भी प्रकार की समस्या या सवाल के लिए डॉक्टर से जरूर परामर्श करें।