हमारे शरीर के सारे महत्वपूर्ण अंगों जैसे दिल, फेफड़े, दिमाग और किडनी के अपने अलग-अलग कार्य हैं। इसमें किडनी शरीर का सबसे महत्वपूर्ण काम करती है। किडनी शरीर में बनने व भोजन के माध्यम से जाने वाले अनेक कैमिकल्स, खनिज और बेकार पदार्थों को छानकर पेशाब के द्वारा बाहर निकाल देती हैं।

इन्हीं में एक कैमिकल होता है यूरिक एसिड (uric acid), इसकी मात्रा अगर शरीर में बढ़ने लगती है तो किडनी के लिए इसे छानकर शरीर से बाहर निकालना मुश्किल हो जाता है। यूरिक एसिड शरीर में प्यूरीन नाम के तत्व के टूटने से बनता है। शरीर में प्यूरीन के दो मुख्य स्रोत हैं: भोजन और मृत कोशिकाएँ (Dead cells), इनमें से अधिकांश यूरिक एसिड पेशाब और मल त्याग में बाहर निकल जाता है।

बॉडी में यूरिक एसिड का स्तर बढ़ने के कारण गठिया-बाय, हार्ट अटैक, शुगर, किडनी से जुड़ी बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। आज की अनियमित जीवन-शैली, खराब खानपान और फिजिकल एक्टिविटीज की कमी के कारण शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ती है। महिलाओं और पुरुषों के सामान्य यूरिक एसिड के मानक भिन्न हैं, सामान्य तौर पर अगर मरीज के यूरिक एसिड का स्तर महिलाओं में 6 mg / dL से अधिक और पुरुषों में 7 mg / dL से अधिक है तो उसके लिए विशेषज्ञ से जरूर मिलें।

कारण: यूरिक एसिड का स्तर महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक बढ़ता है। इसके अलावा यदि आप मांसाहारी हैं तो शाकाहारियों की तुलना में आपको यूरिक एसिड बढ़ने का खतरा अधिक होता है। ज्यादातर रक्त में यूरिक एसिड का स्तर तब बढ़ता है जब भोजन के माध्यम से अधिक प्यूरीन लिया जाता है, इसके अलावा किडनी की कार्यक्षमता कम होने के कारण भी यूरिक एसिड के स्तर में बढ़ोत्तरी होती है। कभी-कभी दोनों स्थितियां एक साथ हो जाती हैं।

यूरिक एसिड बढ़ने के और भी कारण हैं, जैसे- मरीज का वजन अधिक होना या मोटापा, मूत्रवर्धक दवाएँ लेना (diuretics), अधिक प्यूरीन वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करना और शराब का सेवन करना, कीमो थेरेपी जैसे इलाज जिनसे शरीर में मृत कोशिकाओं (Dead cells) की बढ़ोत्तरी होती है। कैंसर जैसी बिमारियों में शरीर में कोशिकाओं के बढ़ने से यूरिक एसिड बढ़ जाता है

उपाय: यूरिक एसिड से जूझ रहे लोगों को अपने खाने में फाइबर युक्त चीजें जैसे साबुत अनाज, सेब, संतरे और स्ट्रॉबेरी को शामिल करना चाहिए। इसके साथ अपने डाइट में खट्टे रसदार फल जैसे आंवला, नारंगी, नींबू, अंगूर, टमाटर, आदि एवं अमरूद, केला, बेर, बिल्व, कटहल, शलगम, पुदीना, मूली के पत्ते, मुनक्का, दूध, चुकंदर, चौलाई, बंदगोभी, हरा धनिया और पालक आदि को शामिल करना चाहिए। यह सभी विटामिन सी के अच्छे स्रोत हैं। इसके अलावा दालें भी विटामिन सी का स्रोत होती हैं।