Tips for Asthma Patients: अस्थमा भी एक ऐसी ही बीमारी है जिसमें मरीज को सांस लेने में तकलीफ होती है। यह एक श्वसन संबंधी रोग है जो तब होती है जब सांस की नली में कोई रुकावट पैदा हो जाती है। ऐसा कफ अथवा एलर्जी के कारण हो सकता है जिससे सांस लेने में बहुत कठिनाई होती है। वैश्विक महामारी कोरोना इन परेशानियों को और बढ़ा सकता है, ऐसे में आइए जानते हैं कि किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है।

अस्थमा के मरीजों को इन बातों का रखना चाहिए ध्यान

धूम्रपान के कारण भी फेफड़ों की बीमारी होती है। दरअसल सिगरेट में मौजूद हानिकारक तत्त्व फेफड़ो की बीमारी को जन्म दे सकते हैं जिसके कारण अस्थमा की बीमारी हो सकती है। ऐसे में धूम्रपान से एकदम दूर रहना चाहिए। इसके अलावा प्रदूषण की वजह से फेफड़ो में गंदी हवा जाती है जिसकी वजह से खांसी शुरू हो जाती है। इसलिए हमेशा प्रदूषण वाली जगह पर जाने से पहले मास्क का उपयोग करें। अधिक व्यायाम करने से बचें। लगातार इंटेंस व्यायाम करने के वजह से इंसान में सांस की समस्या होने लगती है।

दमा और अस्थमा में क्या फर्क है?

आयुर्वेद में अस्थमा वात एवं कफ दोष के खराब होने से होता है। इसमें श्वास नलियां संकुचित होती हैं जिसके कारण छाती में भारीपन का अनुभव होता है तथा सांस लेने पर सीटी जैसी आवाज आती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक अस्थमा (दमा) फेफड़ों की एक बीमारी है जिसके कारण सांस लेने में कठिनाई होती है। अस्थमा होने पर श्वास नलियों में सूजन आ जाती है जिस कारण श्वसन मार्ग सिकुड़ जाता है।

अस्थमा में क्या परहेज करना चाहिए?

अस्थमा के मरीजों को सल्फाइट (Sulfite)से परहेज करना चाहिए। यह एक तरह का प्रिजर्वेटिव है जिसे अल्कोहल, अचार, बोतलबंद नींबू का रस और ड्राई फ्रूट्स जैसी चीजों में डाला जाता है। इसके अलावा गैस बनाने वाले खाद्य पदार्थों जैसे बीन्स, पत्ता गोभी, कार्बोनेटेड ड्रिंक्स, प्याज, लहसुन और बहुत ज्यादा तली भुनी चीजों का सेवन करने से परहेज करना चाहिए। वहीं एक शोध के मुताबिक हफ्ते में 3 बार से अधिक फास्ट फूड (Fast Food) का सेवन करने वालों में अस्थमा के गंभीर लक्षण विकसित होने का खतरा अधिक था।

अस्थमा का परमानेंट इलाज क्या है?

अस्थमा के उपचार का सबसे कारकर और प्रभावी तरीके के बारे में राष्ट्रीय राजधानी स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के पुल्मोलोजी व निद्रा विकार विभाग के प्रमुख डॉ. रणदीप गुलेरिया का कहना है कि इंहेल्ड कोरटिकोस्टेरॉयड थेरेपी (आईसीटी) अस्थमा को नियंत्रित करने में सबसे कारगर इलाज है।

अस्थमा कितने प्रकार के होते हैं?

अस्थमा के भी कई प्रकार होते हैं जैसे एडल्ट ऑनसेट अस्थमा, एलर्जिक ऑक्यूपेशनल अस्थमा, व्यायाम से होने वाला अस्थमा और गंभीर (सीवियर) अस्थमा इत्यादि। पुराने अस्थमा का अमूमन निरंतर दवाओं द्वारा इलाज किया जाता है।