शरीर में यूरिक एसिड का लेवल बढ़ने से कई तरह की गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। इसके कारण गाउट, गठिया बाय, जोड़ों में दर्द, हाई बीपी और किड़नी से जुड़ी बीमारी हो सकती हैं। मेडिकल भाषा में यूरिक एसिड बढ़ने की स्थिति को हाइपरयूरिसीमिया कहा जाता है। बता दें, यूरिक एसिड एक केमिकल है, जो शरीर में प्यूरिन नाम के तत्व के टूटने से बनता है। हालांकि, यूं तो अधिकतर यूरिक एसिड मल-मूत्र के रास्ते शरीर से बाहर निकल जाता है, लेकिन जब इसकी मात्रा अधिक होने लगती है, तो यह हड्डियों के बीच इक्ट्ठा होने लगता है।
जिसके कारण जोड़ों में दर्द और घुटनों पर सूजन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे में आप घरेलू उपायों के जरिए शरीर में बढ़े हुए यूरिक एसिड को कंट्रोल कर सकते हैं। अपनी डाइट में तुलसी को शामिल करने से बढ़े हुए यूरिक एसिड की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।
हिंदू धर्म में तुलसी की पूजा की जाती है। कई जगहों पर तो तुलसी विवाह भी किया जाता है। जर्दी-जुकाम में तुलसी की चाय पीने से काफी राहत मिलती है। तुलसी में कई तरह के औषधीय गुण मौजूद होते हैं। इसमें विटामिन ए, डी, आयरन, फाइबर, अल्सोलिक एसिड, यूजेनॉल और एंटी-ऑक्सीडेंट उच्च मात्रा में होते हैं। तुलसी का नियमित तौर पर सेवन करने से यूरिक एसिड को कंट्रोल किया जा सकता है। इसके अलावा तुलसी गाउट और जोड़ों के दर्द से भी राहत दिलाने में मदद करती है। यह शरीर को डिटॉक्स कर विषाक्त पदार्थों को निकालने में मदद करती है।
इस तरह करें तुलसी का इस्तेमाल: शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा को नियंत्रित करने के लिए तुलसी के पत्तों का सेवन करना फायदेमंद हो सकता है। हालांकि, इसके लिए आपको सही तरीके से तुलसी का सेवन करना होगा। तुलसी के 5-6 पत्तों को अच्छी तरह धोकर कालीमिर्च और देसी घर में मिलाकर खाना चाहिए। इसका रोजाना सेवन करने से हाई यूरिक एसिड को कम किया जा सकता है।
तुलसी ना सिर्फ यूरिक एसिड को कम करने में मदद करती है। बल्कि पाचन तंत्र को मजबूत करने, इम्यूनिटी बूस्ट और त्वचा को निखारने में भी मदद करती है। तुलसी खून को साफ कर, शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकाल देती है। जिससे त्वचा की रंगत निखरती है।