High Uric Acid Remedies: शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ने से लोगों की दैनिक गतिविधियां प्रभावित हो सकती हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि हाई यूरिक एसिड गाउट (जो एक प्रकार का गठिया है) का खतरा बढ़ता है। बता दें कि यूरिक एसिड एक ऐसा केमिकल होता है जो शरीर में मौजूद तत्व प्यूरीन के ब्रेकडाउन से बनता है। ये तत्व कुछ फूड्स और ड्रिंक्स में पाए जाते हैं।
अधिकांश तौर पर यूरिक एसिड ब्लड में डिजॉल्व हो जाता है और यूरिन के जरिये निकल जाता है। मगर जब बॉडी से ये केमिकल फ्लश आउट नहीं हो पाता है तो शरीर में इसकी अधिकता हो जाती है। इस वजह से जोड़ों में दर्द और सूजन की परेशानी हो सकती है। हालांकि, आयुर्वेद के मुताबिक डाइट में कुछ खास फूड्स शामिल करने से इस परेशानी पर काबू पाया जा सकता है।
त्रिफला: बिभितकी, अमलका और हरितकी के मिश्रण से त्रिफला बनता है। इस आयुर्वेदिक औषधि को इसके एंटी-इंफ्लेमेट्री प्रॉपर्टीज के लिए जाना जाता है जो अर्थराइटिस से जुड़े दर्द और दूसरी तकलीफों को दूर करने में मददगार माना जाता है। इसके अलावा, त्रिफला में अमीनो एसिड और फ्लेवोनॉयड्स पाए जाते हैं जो यूरिक एसिड के मरीजों के लिए फायदेमंद होता है।
गिलोय: एक स्टडी के मुताबिक अर्थराइटिस यानी गठिया के इलाज में गिलोय को सबसे असरदार आयुर्वेदिक उपायों में से एक माना जाता है। गिलोय में एंटी-इंफ्लेमेट्री और दर्द कम करने के गुण पाए जाते हैं जो यूरिक एसिड के लक्षणों को कम करने में मददगार साबित होते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार गिलोय के तने का रस पीने से यूरिक एसिड लेवल पर कंट्रोल किया जा सकता है।
हल्दी: रसोई के इस मसाले में एंटी-इंफ्लेमेट्री और हीलिंग प्रॉपर्टीज पाई जाती हैं जो हाई यूरिक एसिड की वजह से होने वाले जोड़ों के दर्द से आराम दिलाता है। साथ ही, इसमें करक्यूमिन मौजूद होता है जो हाई यूरिक एसिड के कारण होने वाली दिक्कतों को दूर करने में सहायक है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक ऑर्गैनिक हल्दी के मिश्रण को प्रभावित स्थान पर लगाएं, इससे दर्द में कमी आएगी। आयुर्वेदिक जानकारों के मुताबिक हल्दी को डाइट में शामिल करने से भी फायदा होगा।
नीम: आयुर्वेद में नीम का इस्तेमाल सूजन को कम करने और गाउट की समस्या को शांत करने के लिए किया जाता है। नीम का पेस्ट बनाकर प्रभावित हिस्से पर लगाने से दर्द से राहत मिलती है।