ह्यूमन बॉडी में 230 तरह के हार्मोन्स पाए जाते हैं। ये हार्मोन्स शरीर में मौजूद ग्लैंड्स से निकलते हैं और बॉडी में एक मैसेंजर की तरह काम करते हैं। इन्हीं में से एक है थायराइड हार्मोन जो थायराइड ग्लैंड से निकलता है।

थायराइड ग्लैंड गले के पास होती है और इसका आकार तितली की तरह होता है। ये ग्लैंड थायराइड हार्मोन का निर्माण करती है, जो दिल, दिमाग और शरीर के दूसरे अंगों को सही तरीके से चलाने में योगदान करता है, साथ ही शरीर के मेटाबॉलिज्म रेट को भी कंट्रोल करता है। वहीं, जब थायराइड ग्लैंड इस हॉर्मोन का उत्पादन सही मात्रा में नहीं कर पाती है, तब हाइपोथायराइड (Hypothyroidism) या हाइपरथायराइड (Hyperthyroidism) की समस्या होती है।

क्या होता है हाइपोथायराइड?

हाइपोथायराइड, थायराइड हार्मोन की कमी के कारण होता है। शरीर में थायराइड हॉर्मोन का निर्माण कम होने लगता है और इसकी वजह से थायराइड ग्लैंड अंडर एक्टिव हो जाती है, इस स्थिति को हाइपोथायराइड या हाइपोथायरायडिज्म कहा जाता है।

क्या होता है हाइपरथायराइड?

इस विकार में थायरॉयड ग्रंथि ओवरएक्टिव हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप मेटाबॉलिक रेट बढ़ जाता है। बता दें कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं को थायराइड विकार होने की आशंका तीन गुणा ज्यादा होती है, साथ ही हाइपोथायराइड और हाइपरथायराइड, ये दोनों ही स्थिति पीड़ित को कई नुकसान पहुंचा सकती हैं। ऐसे में थायराइड लेवल को मैनेज करना बेहद जरूरी हो जाता है। इसके लिए आप दवाओं के साथ-साथ अपनी डाइट में कुछ खास चीजों को भी शामिल कर सकते हैं।

इसी कड़ी में यहां हम आपको तीन ऐसी पत्तियों के बारे में बता रहे हैं, जिनके रस का नियमित सेवन करने से थायराइड लेवल को कंट्रोल करने में मदद मिल सकती है।

धनिये के पत्ते

कई हेल्थ रिपोर्ट्स बताती हैं कि धनिये के पत्तों का अर्क थायराइड लेवल को कंट्रोल करने में बेहद मददगार हो सकता है। इन पत्तों में विटामिन ए, विटामिन सी और विटामिन के की मात्रा अधिक होती है, जो थायराइड लेवल का संतुलन सही बनाए रखने में योगदान करते हैं। इसके अलावा धनिये कि पत्तियों में उच्च मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट गुण भी होते हैं, जो बॉडी की सेल्स को फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाने में सहायता करते हैं और थायराइड ग्रंथि से थायराइड हार्मोन का स्राव सही बनाए रखते हैं।

तुलसी के पत्ते

तुलसी लगभग हर भारतीय घर में पाया जाने वाला पौधा है। इसके तमाम फायदों से अलग ये थायराइड हार्मोन को कंट्रोल करने में भी मददगार हो सकता है। तुलसी में एंटी-फंगल, एंटी-बैक्टीरियल, एंटी वायरल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो थायराइड के लक्षणों को कंट्रोल करने में मदद करते हैं। हालांकि, एक्सपर्ट्स केवल हाइपरथायराइड के मरीजों को ही इसका सेवन करने की सलाह देते हैं।

अश्वगंधा

वहीं, अगर आप हाइपोथायराइड से पीड़ित हैं, तो इस स्थिति अश्वगंधा का अर्क आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। साल 2019 के एक शोध के नतीजे बताते हैं कि अश्वगंधा जैसे मेथनॉलिक अर्क का उपयोग ऑक्सीडेटिव तनाव को कम कर थायराइड हार्मोन में सुधार करता है। ऐसे में आप इसका सेवन कर सकते हैं।

Disclaimer: आर्टिकल में लिखी गई सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य जानकारी है। किसी भी प्रकार की समस्या या सवाल के लिए डॉक्टर से जरूर परामर्श करें।