Hypothyroidism: हाइपोथायरायडिज्म थायराइड हार्मोन की कमी के कारण होता है, जो एक ऐसा रोग है जिसमें आपकी थायरॉयड ग्रंथि कुछ महत्वपूर्ण हार्मोनों का पर्याप्त स्रावित नहीं करती है। थायराइड की समस्या होने पर कुछ संकेत आने लगते हैं। जैसे स्किन ड्राई हो जाना, हेयर फॉल, जोड़ों में दर्द, तेजी से वजन बढ़ना या घटना आदि शामिल है। यह एक ऐसी लाइफस्टाइल डिजीज है, जिसे खत्म नहीं किया जा सकता है बल्कि कंट्रोल किया जा सकता है। यैलोपैथिक में इसे कंट्रोल करने के लिए खाली पेट एक दवा का सेवन करना पड़ता है। न्यूबर्ग डायग्नोस्टिक्स के चीफ पैथोलॉजिस्ट डॉ राजेश बेंद्रे से जानिए हाइपोथारायडिज्म के बारे में सबकुछ।

क्या है हाइपोथायरायडिज्म?

डॉ राजेश बेंद्रे के अनुसार, टीएसएच (TSH) के हाई होने का अर्थ होता है कि आपकी थायरॉयड ग्रंथि पर्याप्त मात्रा में थायराइड हार्मोन नहीं बना रही है। इसी अवस्था को हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyroidism) कहा जाता है। थायराइड-स्टिमुलेटिंग हार्मोन (TSH) एक पिट्यूटरी (पीयूष ग्रन्थि)हार्मोन है, जो थायरॉक्सिन उत्पन्न करने के लिए थायराइड ग्रंथि को उत्तेजित करता है।

क्या है हाइपरथायरायडिज्म?

अगर कम टीएसएच (TSH) है, तो इसका मतलब है कि आपका थायरॉयड बहुत अधिक हार्मोन बना रहा है। इसे को हाइपरथायरायडिज्म (Hyperthyroidism) कहा जाता है। इसी टीएसएच स्तर में असंतुलन से विभिन्न थायरॉयड विकार हो सकते हैं। जब हमारे शरीर में थायराइड का स्तर कम होता है,तो पिट्यूटरी ग्रंथि अधिक टीएसएच बनाती है। इसके बारे में जानकारी और जागरूकता की कमी तथा लोगों में इसके लक्षणों को अन्य कारणों से जोड़ने की एक सामान्य प्रवृत्ति के कारण इसके इलाज में काफी देरी हो जाती है।

लगभग 95% मामलों में हाइपोथायरायडिज्म थायरॉयड ग्रंथि की एक समस्या होती है और इसे प्राथमिक हाइपोथायरायडिज्म कहा जाता है। कुछ मामलों में हाइपोथायरायडिज्म पिट्यूटरी ग्रंथि द्वारा थायराइड-स्टिमुलेटिंग हार्मोन (टीएसएच) के सृजन में कमी हो जाने के परिणामस्वरूप होता है, जिसे द्वितीयक हाइपोथायरायडिज्म कहा जाता है।

थायरोक्सिन का सही रहना क्यों है जरूरी?

जब हमारे शरीर में थायरॉइड का स्तर अधिक होता है,तो पिट्यूटरी ग्रंथि कम टीएसएच बनाती है। चूंकि थायरोक्सिन हृदय गति,पाचन, शारीरिक विकास और मस्तिष्क के विकास और कार्यप्रणाली को विनियमित करने के लिए एक आवश्यक हार्मोन है। इसलिए कोशिकाओं को इसकी अपर्याप्त आपूर्ति पूरे शरीर में कोशिकीय चयापचय को बाधित कर सकती है, जिससे अंग और ऊतक क्षति हो सकती है और इसका रिजल्ट ये होता है कि जान पर भी बन आती है।

हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण

हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण आमतौर पर कुछ विशेष दिखाई नहीं देते हैं और ये अन्य रोगों के लक्षणों के साथ काफी मिलते-जुलते होते हैं। बढ़ती उम्र के साथ स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में जांच के द्वारा ही इस रोग के बारे में जाना जा सकता है।
अत्यंत थकावट

  • तेजी वजन बढ़ना
  • चेहरे की सूजन आ जाना
  • आवाज का कर्कश होना
  • पीरियड्स अनियमित होना
  • अत्यधिक बाल झड़ना
  • मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द
  • ऊंचा रक्त कोलेस्ट्रॉल का स्तर
  • स्किन ड्राई रहना
  • अवसाद

कैसे करें हाइपोथायरायडिज्म है कि नहीं?

हाइपोथायरायडिज्म के बारे में तब तक नहीं जान सकते हैं जब इसके लक्षण नजर न आने लगें। हालांकि, नार्मल ब्लड चेकअप के द्वारा प्रारंभिक अवस्था में ही हाइपोथायरायडिज्म का पता लगाया जा सकता है। अगर किसी व्यक्ति के इंदर कोई संकेत और लक्षण दिखते हैं, तो हाइपोथायरायडिज्म के लिए परीक्षण या स्क्रीनिंग टेस्ट किया जा सकता है।

थायराइड की जांच के लिए कितनी देर खाली पेट रहना जरूरी?

हाइपोथायरायडिज्म के लिए सबसे नार्मल ब्लड चेकअप थायराइड-स्टिमुलेटिंग हार्मोन (TSH) है। अगर आप चेकअप कराने की सोच रहे हैंस तो ब्लड सैंपल सुबह के समय लिया जाता है जिसके लिए आपको करीब 8-10 घंटे का उपवास करना जरूरी है यानी अगर आप सुबह आज बजे चेकअप कराने की सोच रहे हैं, तो एक दिन पहले रात को 10 बजे के बाद कुछ भी न खाएं। टीएसएच सबसे सेंसटिव जांच है, क्योंकि यह थायरॉइड क्रिया में थोड़ी सी कमी के साथ भी बढ़ सकता है।

क्या है हाइपरथायरायडिज्म और हाइपोथायरायडिज्म का स्तर?

हाइपोथायरायडिज्म का उच्च टीएसएच स्तर 10mIU/ml से ऊपर हो सकता है। इसके साथ ही हाइपरथायरायडिज्म 0.1 mIU/ml से नीचे होता है। अगर आपको इस स्तर में दिखें, तो तुरंत ही डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।