Heart Failure in Youngsters: आज की अनियमित व अस्वस्थ जीवन शैली में कम उम्र के लोग भी बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं। पहले के समय में जहां हृदय रोग का खतरा उम्रदराज लोगों में अधिक था, वहीं बदलते समय में युवा भी इससे ग्रस्त हो सकते हैं। शारीरिक गतिविधियों की कमी, तनाव, चिंता, मोटापा और खराब खानपान कम उम्र के लोगों में हार्ट डिजीज के लिए जिम्मेदार है। युवाओं में खासकर हार्ट फेलियर का खतरा अधिक होता है।
क्या है हार्ट फेलियर: हार्ट फेलियर एक क्रॉनिक स्थिति है जो तब उत्पन्न होती है जब दिल शरीर के लिए जरूरी ब्लड को पंप करने में असमर्थ हो जाता है। बता दें कि शरीर में मौजूद टिश्यूज की मेटाबॉलिक जरूरतों को पूरा करने के लिए खून की आवश्यकता होती है। शरीर में स्ट्रेस हार्मोन कॉर्टिसोल की अधिकता और आर्टरीज के दीवारों पर फैट जमा होने के कारण हृदय कमजोर हो जाता है। कमजोर दिल पर्याप्त ब्लड सप्लाई नहीं कर पाता है जिससे थकान, सांस की कमी और हार्ट फेलियर के दूसरे लक्षणों को बढ़ावा देता है।
क्यों युवाओं में बढ़ गया है खतरा: वर्तमान समय में काम की अधिकता के कारण स्वास्थ्य को कई बार लोग नजरअंदाज कर देते हैं। खाने-पीने का कोई निश्चित समय न होना, बाहर के खाने को ज्यादा अहमियत देना, ज्यादा तनाव, धूम्रपान, शराब पीना, शारीरिक असक्रियता हार्ट फेलियर का कारण बन सकता है। इसके अलावा, कुछ शारीरिक समस्याएं जैसे कि हार्ट वाल्व का खराब होना, डायबिटीज, उच्च रक्तचाप और कोरोनरी आर्टरी डिजीज से भी ये परेशानी हो सकती है।
क्या पड़ता है प्रभाव: इस स्थिति में दैनिक गतिविधियों को करने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। चलने, सीढ़ियां चढ़ने और सब्जी खरीदने में दिक्कत हो सकती है।
क्या है इलाज का तरीका: न्यूयॉर्क हार्ट एसोसिएशन क्लासीफिकेशन (NYHA Class 1-4) के अनुसार हार्ट फेलियर की चार अवस्थाएं होती हैं और इसका इलाज अलग-अलग अवस्थाओं में अलग तरह से किया जाता है। शुरुआती चरणों में अपनी लाइफस्टाइल में हेल्दी बदलाव लाकर इसे दूर किया जा सकता है। वहीं, एडवांस स्टेज में सर्जरी या ट्रांसप्लांट ही अंतिम उपाय बचता है।
डेली रूटीन में क्या करें बदलाव:
वजन पर संतुलन बनाए रखें
नियमित रूप से व्यायाम करें या किसी बाहरी गतिविधि में सक्रिय रहें
फल, सब्जी, लीन प्रोटीन और साबुत अनाज खाएं
तनाव कम लें
रोज 7 से 8 घंटे की नींद लें