फैटी लिवर की समस्या से आज करोड़ों लोग परेशान है। यह अव्यवस्थ लाइफस्टाइल और खराब खानपान के कारण होने वाली बीमारियों में से एक है। फैटी लिवर को आम भाषा में हेपेटिक स्टीएटोसिस कहा जाता है। यह एक ऐसी परिस्थिति है, जिसमें लिवर पर अधिक मात्रा में फैट इक्ट्ठा हो जाता है। लिवर शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक है, यह फैट और कार्बोहाइड्रेट को पचाने में मदद करता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि लिवर में कुछ मात्रा में फैट होना नॉर्मल है लेकिन जब इसकी मात्रा बढ़ जाती है तो कई तरह की गंभीर समस्याएं होने लगती हैं।

फैटी लिवर दो तरह का होता है, पहला एल्कोहलिक फैटी लिवर और दूसरा नॉन एल्कोहलिक। एल्कोहलिक फैटी लिवर की बीमारी अधिक शराब के सेवन से होती है वहीं, नॉन एल्कोहलिक की समस्या तब होता है, जब लिवर में वसा की मात्रा 10 गुणा से ज्यादा हो जाती है। शराब के अलावा तली-भुनी चीजों का सेवन, ओबेसिटी, कई बार डाइजेशन की प्रॉब्लम के कारण फैटी लिवर हो जाता है। इसके अलावा वायरस या फिर लिवर इंफेक्शन के कारण भी फैटी लिवर की समस्या हो सकती है।

लक्षण: फैटी लिवर की समस्या में शुरुआत में तो कोई लक्षण दिखाई नहीं देते। इसलिए फैटी लिवर की बीमारी को साइलेंट किलर भी कहा जाता है। लेकिन जब यह गंभीर अवस्था में पहुंच जाता है तो कुछ लक्षण दिखाई देते हैं, जिनमें भूख न लगना, उल्टी आना, जी-मिचलाना और पेट के बाएं हिस्से में दर्द होना की समस्या शामिल हैं।

बचाव के उपाय: फैटी लिवर की समस्या से निजात पाने के लिए अपने खानपान और लाइफस्टाइल में बदलाव करना बेहद ही जरूरी है। गर्मियों में मौसम में मरीज अपने खाने में छाछ को शामिल कर सकते हैं। इसके अलावा अपनी डाइट में पत्ता गोभी और फूल गोभी को शामिल करना चाहिए, इसमें मौजूद नेचुरल एलिमेंटि्स फैटी लिवर के खतरे को कम करते हैं।

इसके अलावा मरीजों को शराब, धूम्रपान और फैट युक्त चीजों के सेवन से बचना चाहिए। हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो फैटी लिवर के मरीजों को अपने खाने में प्याज भी शामिल करनी चाहिए। इसके लिए मरीज दिन में दो बार प्याज का सेवन कर सकते हैं।