Fatty Liver Tests: अनियमित जीवन-शैली, स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही व जंक फूड और अनहेल्दी खानपान से स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याओं का लोगों को सामना करना पड़ता है। फैटी लिवर भी एक ऐसी ही बीमारी है जो सेडेंट्री लाइफस्टाइल, शारीरिक असक्रियता, डायबिटीज व अत्यधिक शराब के सेवन के कारण होता है। ह्यूमन बॉडी का दूसरा सबसे बड़ा अंग लिवर न केवल खाना पचाने में मददगार है बल्कि क्लींजिंग, डिटॉक्सिफाइंग और मैनुफैक्चरिंग जैसे कई अन्य कार्य भी करता है। ऐसा माना जाता है कि दुनिया की आबादी का एक-तिहाई हिस्सा फैटी लिवर से पीड़ित है। इसे साइेंट किलर भी कहा जाता है क्योंकि इस बीमारी के लक्षण जल्दी नहीं सामने नहीं आते हैं। पिछले तीन साल से विश्वभर में इंटरनेशनल नॉन एल्कोहॉलिक स्टेएटो हैपेटाइटिस दिवस 12 जून को मनाया जा रहा है।आइए जानते हैं क्या है बीमारी-

क्या है फैटी लिवर: लिवर के आसपास यूं तो हमेशा ही फैट जमा रहता है, लेकिन जब इसके सेल में बहुत अधिक फैट जमा हो जाता है तो फैटी लिवर की समस्या हो जाती है। इस स्थिति में लिवर में सूजन आने लगती है और वो सिकुड़ने लगता है। अगर समय पर इसका इलाज न किया जाए तो यह गंभीर रूप ले सकता है। इस बीमारी में लिवर सेल्स में अनवांटेड फैट की मात्रा बढ़ जाती है जिससे लिवर में सूजन आ जाती है। मोटापा, डायबिटीज, उच्च रक्तचाप और हाई कोलेस्ट्रॉल के मरीजों में फैटी लिवर का खतरा अधिक रहता है। आमतौर पर लोगों को लगता है कि ये बीमारी केवल शराब पीने वालों को ही अपनी चपेट में लेता है। हालांकि, फैटी लिवर सिर्फ शराब के सेवन से ही नहीं बल्कि कई अन्य खान-पान से संबंधित खराब आदतों की वजह से भी हो सकता है।

हो सकता है कैंसर का खतरा: फैटी लिवर के गंभीर मामलों में लिवर कैंसर का खतरा भी हो सकता है। जब फैटी लिवर के मरीज शराब का सेवन करते हैं तो उनमें लिवर सिरोसिस का खतरा रहता है। साथ ही इससे कैंसर होने की आशंका भी बढ़ती है। लिवर सिरोसिस के स्टेज पर पहुंचने के बाद उपचार ही एकमात्र उपाय बच जाता है। फैटी लिवर के कारण लोगों में न केवल लिवर कैंसर के मामले देखे गए हैं, बल्कि मरीजों में पैनक्रियाज, बड़ी आंत व ब्रेस्ट कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है। जहां नॉर्मल या फिर ब्लैंड फैटी लिवर और फैटी हेपिटाइटिस से निजात पाना फिर भी आसान है। लेकिन इसके लिए लोगों को अपने शरीर में हो रहे बदलावों पर खास ध्यान देने की जरूरत होती है।

ऐसे करें पहचान: आज के समय में हेल्थ चेकअप या संपर्णू बॉडी चेकअप में फैटी लिवर का पता चल जाता है। इसके अलावा, अल्ट्रासाउंड या सोनोग्राफी के जरिये भी इस बीमारी का पता लगाया जा सकता है। वहीं, NASH या लिवर सिरोसिस की स्थिति में डॉक्टर्स कुछ टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं। इसके अलावा, लिवर की बायोप्सी और फाइब्रोस्कैन जैसे टेस्ट्स की मदद से भी इस बीमारी का पता लगाया जा सकता है।