गर्मी का मौसम अस्थमा की परेशानी को बढ़ा सकता है। इस मौसम में गर्म तापमान में सांस लेने से अस्थमा के लक्षण पैदा हो सकते हैं। गर्मी में रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट सख्त और संकीर्ण हो सकता है जिससे सांस लेना तक मुश्किल हो जाता है। गर्मी में अस्थमा की वजह से एलर्जी और जलन की परेशानी बढ़ने लगती है। अस्थमा वायु मार्ग में सूजन के कारण होता है जिसका मुख्य कारण एलर्जी है। अस्थमा की परेशानी किसी भी चीज के बार-बार संपर्क में आने से या एलर्जी वाली चीजों का सेवन करने से हो सकती है। इन चीजों का सेवन करने से खून में कुछ घटक बढ़ जाते हैं जिससे वायु मार्ग में सूजन आ जाती है।
अस्थमा के लक्षणों की बात करें तो इसकी वजह से सांस लेने में तकलीफ होना, घरघराहट की आवाज होना, सीने में दर्द, खांसी और थकान महसूस होती है। पिछले साल जर्नल एनवायर्नमेंटल हेल्थ में प्रकाशित एक अध्ययन में 12 साल के हेल्थ डाटा और मैरीलैंड में 115,000 से अधिक मामलों की समीक्षा की गई, जिसमें पाया गया कि अत्यधिक गर्मी और भारी बारिश से अस्थमा के लक्षण बिगड़ जाते हैं और बच्चों के अस्पताल में भर्ती होने तक की नौबत आ जाती है। गर्मी के मौसम में ये जोखिम 23 प्रतिशत बढ़ जाता है और 5 से 17 वर्ष की आयु के बच्चों में यह सबसे अधिक होता है।
गर्मी से वायु प्रदूषण का खतरा भी बढ़ जाता है जिससे अस्थमा के मरीजों को ज्यादा परेशानी होती है। गर्मी अस्थमा के लक्षणों को ट्रिगर कर सकती है, क्योंकि हाई टेंपरेचर और आर्द्रता के कारण हवा नहीं चल पाती है, जिससे प्रदूषक फंस जाते हैं जो वायु मार्ग को परेशान कर सकते हैं। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन (CDC) के मुताबिक अस्थमा के कारण हर साल 1.6 मिलियन लोग इमरजेंसी में जाते हैं। आइए जानते हैं कि गर्मी में बच्चों में अस्थमा के कौन-कौन से लक्षण दिखते हैं और इससे कैसे बचाव किया जा सकता है।
बच्चों में अस्थमा के लक्षण कौन-कौन से हैं?
बच्चे में सांस लेने में बार-बार घरघराहट महसूस होना, अस्थमा की फैमिली हिस्ट्री और कभी-कभी लंग्स का ठीक तरीके से काम नहीं करना भी अस्थमा के लक्षण हैं। कई बार बचपन में बच्चे को सांस लेने में घरघराहट होती है उन्हें बाद में अस्थमा नहीं होता। बच्चे के सीने में जकड़न और खांसी भी अस्थमा के लक्षण हो सकते हैं।
बच्चे का अस्थमा से बचाव कैसे करें
- बच्चों को उन सब चीजों से दूर रखें जो अस्थमा को ट्रिगर करते हैं। कमरे का बिस्तर,सामान और फूड जिनसे बच्चे को एलर्जी होती है उससे बचाएं।
- अपने बच्चे के आस-पास धूम्रपान न करने दें। बचपन में बच्चे का तंबाकू के धुएं के संपर्क में आना अस्थमा के लिए जोखिम कारक है जो अस्थमा को ट्रिगर करता है।
- बच्चे को एक्टिव रखें ताकि बच्चे की बॉडी ठीक तरीके से काम करें। नियमित बॉडी एक्टिविटी फेफड़ों को अधिक कुशलता से काम करने में मदद कर सकती है।
- बच्चे की नियमित रूप से जांच कराएं।
- बच्चे की बॉडी में दिखने वाले लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करें और उसे तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
- बच्चे का इन्हेलर उसके पास रखें ताकि उसे जब भी जरूरत पड़े उसका इस्तेमाल करें।
- बच्चा अस्थमा का शिकार है तो उसके वजन को कंट्रोल करें।
- बच्चे को अगर एसिड रिफ्लक्स या सीने में जलन की परेशानी होती है तो आप अपने बच्चे का उपचार करें। एसिड रिफ्लक्स अस्थमा के लक्षणों को बिगाड़ सकता है।