कम लोग हैं, जो दूसरों के बारे में सोचते हैं और कुछ करते हैं। ऐसे ही कम लोगों में शुमार हैं प्रोफेसर सुजाता श्रीनिवासन। वे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) मद्रास में प्रोफेसर हैं। उन्होंने दिव्यांगों के लिए ऐसी एक ‘वीलचेयर’ बनाई है, जो आरामदेह तो है ही, उन लोगों को आत्मनिर्भर बनाने में अहम है। उन्होंने यह वीलचेयर बनाने हुए इस बात का ध्यान रखा कि दिव्यांगों को ज्यादा दिक्कत बाजारों में, सड़कों पर या खेतों में आती है, जहां वे आसानी से घूम-फिर नहीं सकते।
इन जगहों पर वीलचेयर धकेलने के लिए उन्हें दूसरों की मदद की जरूरत होती है। प्रोफेसर सुजाता और उनके सहयोगियों की बनाई वीलचेअर दिव्यांगों को आत्मनिर्भर बनाती है। उन्हें कहीं भी घूमने-फिरने में दूसरों की मदद की जरूरत नहीं होती। एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में हर साल तीन लाख वीलचेयर बिकती हैं। इसमें से 2.5 लाख वीलचेयर आयात की जाती हैं। इन वीलचेयर में 95 फीसद एक ही आकार की होती हैं, जो सभी के लिए आरामदेह नहीं होती। प्रोफेसर सुजाता ने जो वीलचेयर बनाई है, उसकी मांग खूब बढ़ रही है। इस वीलचेयर की मदद से कहीं भी जाया जा सकता है।
प्रोफेसर सुजाता और उनके छात्र स्वास्तिक दास ने साल 2020 में एक नए स्टार्टअप ‘नियोमोशन’ की शुरुआत की। इस स्टार्टअप की मदद से कोई भी अपनी जरूरत के मुताबिक वीलचेयर बनवा सकता है। सुजाता की टीम में अलग-अलग पृष्ठभूमि और क्षेत्रों के लोगों को जोड़ा गया है। इसमें दो दर्जन से ज्यादा लोग काम करते हैं। नियोमोशन के तहत बिजली से चार्ज होने वाली वीलचेयर बनाई जाती है। यह पहली स्वदेशी मोटर वीलचेयर है, जो ऊबड़-खाबड़, पथरीली या सपाट राहों पर आसानी से चल सकती है। वह भी बिना किसी की मदद लिए। 25 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली यह वीलचेयर दिव्यांगों की जिंदगी आसान बनाती है।
सुजाता के स्टार्टअप ‘नियोमोशन’ की ओर से बनाए गए वीलचेयर दो तरह के ‘नियोफ्लाई’ और ‘नियोबोल्ट’ हैं। नियोफ्लाई वीलचेयर सेहत और जीवनशैली के मुताबिक 18 तरीकों से परिमार्जित की जा सकती है। मोटर से लैस नियोबोल्ट व्हीलचेयर को स्कूटर में बदली जा सकती है, जो एक बार चार्ज करने पर 25 किमी तक चलेगी। इसमें ब्रेक, हॉर्न, लाइट और मिरर भी लगे हैं। नियोफ्लाई वीलचेयर की कीमत 39,900 रुपए, जबकि नियोबोल्ट की कीमत 55,000 रुपए है। स्टार्टअप की वेबसाइट पर एक हजार रुपए का भुगतान कर इसका आॅर्डर बुक किया जा सकता है।