साथी की मृत्यु के कुछ दिन या महिनों बाद व्यक्तियों की मौत की खबर हम आए दिन सुनते रहते हैं। एक नए शोध में बताया गया है कि दुख के कारण होने वाली ऐसी ही मौतों के पीछे क्या कारण है। शोध में मिले परिणामों के अनुसार, साथी की मृत्यु के बात जो व्यक्ति अकेला रह जाता है, उसमें हृदय संबंधी रोग और समय से पहले मृत्यु होने का खतरा होता है।
हाल ही में साइकोन्यूरोएंडोक्रिनोलॉजी में प्रकाशित इस शोध के अनुसार, साथी को खोने के बाद के शुरुआती महिनों में, विधवा व्यक्ति के शरीर में गैर-शोकग्रस्त व्यक्तियों की तुलना में प्रो-इंफ्लेमेटरी साइकोकिन्स(रक्त में इंफ्लेमेशन) का उच्च स्तर और हार्ट रेट वैरियेबलिटी का निम्न स्तर पाया गया है।
इस तरह की स्थिति कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनती हैं और शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं। इस तरह विज्ञान का मानना है कि दिल टूटना व्यक्तियों के लिए इस हद तक दुखद हो सकता है कि यह उनकी जान तक ले सकता है।
इस शोध के मुख्य शोधकर्ता क्रिस फगुनडीस का कहना है, “पहले किए गए कई शोधों में पाया गया है वयस्कता के दौरान होने वाली सभी बीमारियों में इंफ्लेमेशन एक मुख्य कारण होती है। हम यह भी जानते हैं कि डिप्रेशन के दौरान इंफ्लेमेशन बढ़ जाती है। जिन लोगों ने अपने प्रेमी या साथी को खोया है, उनमें डिप्रेशन, हार्ट अटैक, स्ट्रोक और समय से पहले मृत्यु का खतरा अधिक होता है।”