दिल के दौरे के बाद अकेले रहना खतरनाक हो सकता है। इससे अगले चार सालों में मौत का खतरा भी मंडरा सकता है। यह जानकारी इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. के.के. अग्रवाल दी। अमेरिकन जरनल ऑफ कार्डियोलॉजी में प्रकाशित एक ताजा अध्ययन का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि दिल के दौरे के एक साल बाद मौत होने की संभावना अकेले रह रहे व्यक्ति की भी उतनी ही होती है जितनी किसी के साथ रह रहे पीड़ित की होती है। लेकिन अकेले रह रहे मरीज की चार सालों में मौत होने की संभावना 35 प्रतिशत ज्यादा होती है।

आईएमए के महासचिव डॉ. आरएन टंडन ने बताया कि सामाजिक सहयोग बीमारी पर गहरा प्रभाव डालता है। यह न सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ाता है बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाता है। परिवार और दोस्तों का सहयोग ऐसे मरीजों को तंदरूस्त होने और अच्छी जिंदगी जीने में मदद करता है।जो लोग अकेले रहते हैं उनके तंदुरुस्त होने में रुकावट आ जाती है, क्योंकि उन्हें दवाइयां लेने, बताए गए व्यायम करने के लिए प्रोत्साहन और चेकअप के लिए डॉक्टर के पास जाने के लिए जिस सहयोग की आवश्यकता होती है, वह उनके पास नहीं होता।

रखे विशेष ध्यान: हृदय रोग विशेषज्ञ सर्जन डॉ. राकेश दिल को सुरक्षित रखने के कई उपाय बता चुके हैं। उनके मुताबिक दिल और रक्तचाप के मरीज सुबह एकदम से ठंड में बाहर न जाएं। बिस्तर से उठने के बाद थोड़ा व्यायाम करते हुए उठें। वहीं समय-समय ब्लड प्रेशर की जांच कराते रहना भी जरूरी है। दमा के मरीजों को भी विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। वहीं गर्मी में हार्ट अटैक के साथ स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ जाता है। ऐसे में विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। वहीं मिस्र के काहिरा विश्वविद्यालय के एक नए शोध में यह जानकारी भी सामने आई है कि जिन लोगों का उम्र से पहले ही बाल सफेद होने लगते हैं, उन्हें हृदय रोग का खतरा हो सकता है। एक नए शोध में यह चेतावनी दी गई है।