जिंदगी की मसरूफियत और बदलते लाइफस्टाइल ने हमारे खाने-पीने के तरीके को भी पूरी तरह बदल दिया है। पहले जहां हम ज़मीन पर थाली लगाकर आराम से बैठकर भोजन करते थे, वहीं अब यह परंपरा धीरे-धीरे खत्म होती जा रही है और उसकी जगह खड़े होकर खाना खाने का चलन बढ़ गया है। हाई सोसायटी से लेकर रोज़मर्रा की ज़िंदगी तक, खड़े होकर खाना एक आम आदत बन चुका है। किचन काउंटर, ऑफिस पैंट्री, मल्टीटास्किंग के दौरान या फिर पार्टी और इवेंट्स में अधिकतर लोग खड़े-खड़े ही खाना खाते नज़र आते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस आदत का शरीर और मेटाबॉलिज्म पर क्या असर पड़ता है?

KIMS हॉस्पिटल्स की चीफ डाइटीशियन डॉ. अमरीन शेख कहती हैं कि खड़े होकर कभी-कभार खाना हानिकारक नहीं है, लेकिन अगर यह आपकी रोजमर्रा की आदत बन जाए तो धीरे-धीरे ये आदत आपके पाचन, भूख और शरीर भोजन को कैसे प्रोसेस करता है उस पर असर डालने लगती है। आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि खड़े होकर खाना खाने की ये आदत कैसे पाचन,वजन और बॉडी पर असर करती है।

खड़े होकर खाना खाने की आदत का सेहत पर असर?

डॉक्टर अमरीन बताती है कि खड़े होकर खाने की आदत आम तौर पर जल्दीबाज़ी, तनाव या वक्त की कमी से बनती है। हफ्तों और महीनों तक इसी तरह से खाना खाने से ये आदत खाने के व्यवहार, भूख नियंत्रण और पाचन तंत्र को प्रभावित करती है। खड़े होकर खाने पर शरीर  गो-मोड में रहता है और नर्वस सिस्टम थोड़ा सक्रिय बना रहता है।

खड़े होकर खाना खाने से पाचन कैसे होता है प्रभावित?

पाचन तब सबसे अच्छा काम करता है जब शरीर शांत और बैठी हुई अवस्था में हो। लेकिन जब आप खड़े होकर खाते हैं तो खाना पेट से जल्दी नीचे जाता है, जिससे आपको भूख मिटाने का अहसास कम होता है। नतीजा आप जरूरत से ज्यादा खाना खा लेते हैं, जो समय के साथ वजन बढ़ने का कारण बनता है। खाना ठीक से नहीं चबाना भी एक बड़ी समस्या है। डॉक्टर शेख बताती हैं कि लोग खड़े होकर या जल्दी में खाते समय बड़े निवाले लेते हैं और कम चबाते हैं। कम चबाया हुआ भोजन पेट पर ज्यादा दबाव डालता है और इससे पेट फूलना, एसिडिटी या खाने के बाद भारीपन महसूस हो सकता है।

मेटाबॉलिक असर भी होता है

शेख बताती हैं कि शरीर भूख और क्रेविंग को कंट्रोल करने के लिए घ्रेलिन और लेप्टिन जैसे हार्मोन रिलीज़ करता है। लेकिन जब आप ध्यान भटकाकर या चलते-फिरते खाते हैं तो ये संकेत कमजोर हो जाते हैं। समय के साथ भूख और तृप्ति के इस अनियमित चक्र से क्रेविंग, ओवरईटिंग और एनर्जी क्रैश होने का जोखिम बढ़ जाता है। जिन लोगों को एसिडिटी की समस्या रहती है, उनके लिए खड़े होकर खाना खाने से एसिड रिफ्लक्स बढ़ सकता है, क्योंकि खाना ठीक से पेट में ठहरने से पहले ही जल्दी आंतों में खिसक जाता है।

पाचन और मेटाबॉलिज्म को ठीक रखने के लिए कैसे खाएं खाना

अगर आप चाहते हैं कि आपका पाचन दुरुस्त रहे और आपका मेटाबॉलिज्म भी बूस्ट रहे तो आप खाना खाते समय बैठें और खाना धीरे-धीरे खाएं। खाना खाते समय टीवी और मोबाइल में ध्यान भटकाएं नहीं बल्कि खाने पर ध्यान दें। आरामदायक मुद्रा में बैठने से आंतें सही तरीके से पाचक एंजाइम बनाती हैं। डॉक्टर ने बताया अच्छी तरह चबाना, स्क्रीन से दूर रहना और निवालों के बीच रुकना मेटाबॉलिज़्म को बेहतर बनाता है और ऊर्जा को स्थिर रखता है।

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