भारत में पैदा होने वाले हर 700 बच्चों में से एक बच्चा क्लेफ्ट लिप्स के साथ पैदा होता है। क्लेफ्ट लिप्स का मतलब बच्चा कटे-फटे होंठ के साथ ही पैदा होता है। हालांकि इसकी जानकारी कुछ तकनीक के अभावों में और कुछ सामाजिक कुरीतियों के कारण आम लोगों को नहीं है। जबकि मेडिकल साइंस कहता है कि गर्भ में पल रहे 3-6 महीने के बच्चे का भी अगर मामला सामने आता है तो सर्जरी के माध्यम से उसे ठीक किया जा सकता है। यही नहीं 20 हफ्ते की प्रेग्नेंसी में भी 81 प्रतिशत मामलों में इस बीमारी का पता लगाया जा सकता है। इस सर्जरी को कराने का खर्च भी ज्यादा नहीं है। आइए जानते हैं इस बीमारी के बारे में और कैसे इसे समय रहते ठीक कराया जा सकता है।
क्लेफ्ट क्या होता है?
क्लेफ्ट वाले बच्चों के कटे-फटे होंठ व तालु होते हैं जो जन्मजात बीमारी होती है। यह बीमारी मां के गर्भ के दौरान भ्रूण के चेहरे के विकृत विकास के कारण होती है। कुछ बच्चों ऐसे होते हैं जिनके होंठ पर केवल थोड़ा सा कटाव होता है, वहीं कुछ में यह दरार काफी ज्यादा होती है।
क्लेफ्ट के कारण होने वाली जटिलताएं:
– दांतों की समस्या
– कुछ सालों बाद बोलने में परेशानी होने लगती है
– सांस लेने में कठिनाई होना
– खाने में परेशानी होना
समय रहते कैसे करा सकते हैं ठीक-
अल्ट्रासाउंड के जरिए 20 हफ्ते की प्रेग्नेंसी में भी इस बीमारी का पता लगाया जा सकता है। इसके बाद एक्सपर्ट डॉक्टरों से सलाह कर के प्रेग्नेंसी में ही एक छोटा सा ऑपरेशन करा के आने वाले बच्चे को स्वस्थ जिंदगी दी जा सकती है। हालांकि कई मामलों में ग्रहण जैसी सामाजिक कुरीतियों में विश्वास कर के कई परिवारों में इसे नजरअंदाज कर दिया जाता है और बच्चा पूरी जिंदगी कटे-फटे होंठ के साथ ही जीने को मजबूर हो जाता है। भारत में पिछले 20 सालों से स्माइल ट्रेन इंडिया नाम की संस्था इस दिशा में गंभीरत से काम कर रही है और अब तक 60 लाख सर्जरी पीड़ित बच्चों का करा चुकी है।इन्हीं में से एक है तान्या, जो ऑपरेशन के बाद आज फैशन ब्लॉगर है। मीडिया से बात करते हुए तान्या ने अपने पुरानी जिंदगी के बारे में बताया कि पहले लोग उनसे बात तक नहीं करना चाहते थे, लेकिन ऑपरेशन के बाद उनकी लाइफ बदल गई।

