Liver Cirrosis Symptoms: आज की अनहेल्दी लाइफस्टाइल के कारण लोग कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित हो जाते हैं। खानपान में लापरवाही बरतने का असर लिवर पर भी पड़ता है। शरीर के मुख्य अंगों में से एक लिवर बॉडी में मौजूद टॉक्सिक पदार्थों को बाहर निकालने का कार्य करता है। साथ ही, डाइजेस्टिव सिस्टम ढ़ंग से कार्य करें इस बात को भी सुनिश्चित करता है। फिजिकल इनैक्टिविटी, शराब का अत्यधिक सेवन या फिर धूम्रपान करने से लिवर की कार्य क्षमता प्रभावित हो जाती है। इस कारण फैटी लिवर, लिवर सिरोसिस, लिवर में सूजन जैसी कई समस्याओं का लोगों को सामना करना पड़ता है।

क्या है लिवर सिरोसिस बीमारी: लिवर सिरोसिस बीमारी में लिवर धीरे-धीरे प्रभावित होता है, जिस कारण कुछ समय बाद ही लिवर अपने कार्यों को करने में असमर्थ हो जाता है। ये रोग लिवर सेल्स को डैमेज करता है, साथ ही इससे लिवर मे सिकुड़न आ जाती है। सिरोसिस की स्थिति में लिवर के अंदर फाइबरॉयड्स बनने लगते हैं। इस बीमारी के गंभीर मरीजों के पास लिवर ट्रांसप्लांट ही आखिरी उपाय बचता है।

कैसे आते हैं मरीज इस बीमारी की चपेट में: मोटापा, डायबिटीज, उच्च रक्तचाप और हाई कोलेस्ट्रॉल के मरीजों में लिवर सिरोसिस का खतरा अधिक होता है। इसके अलावा, हेपेटाइटिस बी और सी से पीड़ित लोगों को भी इस बीमारी से बचकर रहने की सलाह दी जाती है। वहीं, फैटी लिवर के मरीजों में भी गंभीर स्थिति होने पर इस बीमारी का खतरा ज्यादा होता है। इसके अलावा, शराब का अत्यधिक सेवन, मसालेदार खाना और शारीरिक असक्रियता भी इस बीमारी के कारण हो सकते हैं।

जान लीजिए लक्षण: आमतौर पर शुरुआती चरणों में इस बीमारी के ज्यादा लक्षण सामने नहीं आते हैं। समय बीतने के साथ जैसे-जैसे लिवर कमजोर होते जाता है, सिरोसिस के लक्षण भी नजर आने लगते हैं। भूख लगना, थकान महसूस होना, त्वचा का पीला पड़ना ये सब इस बीमारी के लक्षण हैं। अगर वजन अचानक घट-बढ़ जाए तो भी लोगों को सचेत हो जाना चाहिए। सांस लेने में समस्या या फिर कमजोरी भी लिवर सिरोसिस के लक्षण हो सकते हैं।

कैसे करें पहचान: डॉक्टर्स आज के समय में हेल्थ चेकअप या फुल बॉडी चेकअप से किसी भी बीमारी का पता लगा सकते हैं। अल्ट्रासाउंड, ब्लड टेस्ट के जरिये भी एक्सपर्ट्स इस बीमारी की पुष्टि कर सकते हैं। लिवर सिरोसिस की स्थिति में डॉक्टर्स कुछ अन्य टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं। लिवर की बायोप्सी और फाइब्रोस्कैन जैसे टेस्ट्स की मदद से भी इस बीमारी का पता लगाया जा सकता है।