प्रेग्नेंसी के 9 महीने हर महिला के लिए बेहद नाजुक होते हैं। इन 9 महीनों में महिलाओं को तमाम तरह की चुनौतियों से होकर गुजरना पड़ता है, उनके शरीर में कई तरह के बदलाव आते हैं। इन परिवर्तनों के बीच, त्वचा की देखभाल संबंधी चिंताएं भी अक्सर परेशान करने लगती हैं। माना जाता है क्योंकि गर्भावस्था के दौरान महिलाओं की स्किन के अंदर भी कई बदलाव होते हैं, ऐसे में स्किन केयर प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल उनके लिए हानिकारक हो सकता है। लेकिन क्या वाकई ऐसा है? आइए जानते हैं त्वाचा विशेषज्ञ से-
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?
दरअसल, हाल ही में डर्मेटोलॉजिस्ट आंचल पंथ ने अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर एक वीडियो शेयर किया है। इस वीडियो में वे प्रेग्नेंसी के दौरान त्वचा की देखभाल से जुड़े कुछ सामान्य मिथकों के बारे में बताती नजर आ रही हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में, साथ ही जानेंगे इन्हें लेकर एक अन्य एक्सपर्ट की राय-
मिथक नंबर 1: प्रेगनेंसी में हेयर रिमूव नहीं करने चाहिए
इसे लेकर डर्मेटोलॉजिस्ट बताती हैं, प्रेगनेंसी के दौरान हेयर रिमूव करना पूरी तरह सुरक्षित है। वहीं, इसी सवाल का जवाब देते हुए इंडियन एक्सप्रेस संग हुई एक खास बातचीत के दौरान सीके बिड़ला अस्पताल, गुरुग्राम में सलाहकार त्वचा विशेषज्ञ डॉ सीमा ओबेरॉय लाल ने बताया, ‘गर्भवती महिलाएं अपने शरीर से बाल हटा सकती हैं और इसके लिए वे वैक्स या थ्रेड किसी भी तरीके का इस्तेमाल कर सकती हैं। प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए अपनी स्वच्छता का ध्यान रखना भी जरूरी होता है, हालांकि इसके लिए कठोर उत्पादों का उपयोग करने से बचें। अगर किसी तरह के प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करने पर जलन या असहजता का एहसास हो, तब सावधानी बरतना जरूरी है।
मिथक नंबर 2: हेयर कलर करना हो सकता है नुकसानदायक
डर्मेटोलॉजिस्ट आंचल पंथ के मुताबिक, गर्भावस्था के दौरान कभी-कभी बालों को हाई लाइट या रूट टच अप करना सुरक्षित है। वहीं, डॉ सीमा के मुताबिक, प्रेग्नेंसी के दौरान किसी भी तरह से बालों को करल करने से बचना बेहतर है। खासकर पहली तिमाही के दौरान, यानी गर्भावस्था के शुरुआती तीन महीनों में किसी तरह का हेयर कलर न कराएं। दरअसल, इस दौरान बच्चे के अंग विकसित हो रहे होते हैं (ऑर्गोजेनेसिस), ऐसे में हेयर कलर करने से केमिकल रिएक्शन का खतरा अधिक बढ़ जाता है, जो होने वाली मां और बच्चे दोनों के लिए हानिकारक हो सकता है।
इसके अतिरिक्त, डॉ. लाल बताती हैं, अगर आपके बाल अधिक सफेद दिख रहे हैं और आप उन्हें कलर करना अवॉइड नहीं कर सकती हैं, तो इस स्थिति में डाई को खोपड़ी के बहुत करीब न लगाएं। वहीं, अगर कलर लगाने पर स्कैल्प पर चकत्ते, सूजन या किसी अन्य समस्या का सामना करना पड़े तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।
इसके अलावा, गर्भावस्था के दौरान केराटिन और रीबॉन्डिंग जैसे उपचारों से बचें। क्योंकि इनमें अक्सर फॉर्मेल्डिहाइड होता है, जो बच्चे के विकास के लिए हानिकारक हो सकता है।
मिथक नंबर 3: प्रेगनेंसी में आईब्रो थ्रेडिंग नहीं करानी चाहिए
इसे लेकर डॉ. लाल और आंचल पंथ दोनों बताती हैं कि जब तक थ्रेडिंग साफ और स्वच्छ तरीके से की जाती है, गर्भवती महिलाओं के लिए ये पूरी तरह सुरक्षित है। वे जब चाहें आईब्रो थ्रेडिंग करा सकती हैं।
मिथक नंबर 4: किसी भी स्किन केयर प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल न करें
इसे लेकर डॉ. लाल बताती हैं, रेटिनोइड या विटामिन ए-आधारित उत्पादों का इस्तेमाल किसी भी सूरत में न करें। ये आमतौर पर एंटी-एजिंग और एंटी-एक्ने क्रीम में पाए जाते हैं। इसके अलावा, हाइड्रोक्विनोन (Hydroquinone) आर्बुटिन (Arbutin) और यहां तक कि हैवी मिनरल मेकअप वाले उत्पादों से भी बचें।
मिथक नंबर 5: सनस्क्रीन का प्रयोग न करें
डॉ. लाल गर्भवती महिलाओं को धूप से बचाव के लिए फिजिकल सनस्क्रीन लगाने की सलाह देती हैं। इस तरह की सनस्क्रीन में आमतौर पर माइक्रोनाइजिंग ऑक्साइड या आयरन ऑक्साइड होता है। इससे अलह रासायनिक सनस्क्रीन से बचना चाहिए।
Disclaimer: आर्टिकल में लिखी गई सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य जानकारी है। किसी भी प्रकार की समस्या या सवाल के लिए डॉक्टर से जरूर परामर्श करें।