Fatty Liver Tests: लोग पूरे दिन में जितना कुछ भी खाते हैं उन खाद्य पदार्थों को पचाने का कार्य लिवर ही करता है। ह्यूमन बॉडी का दूसरा सबसे बड़ा अंग लिवर न केवल खाना पचाने में मददगार है बल्कि क्लींजिंग, डिटॉक्सिफाइंग और मैनुफैक्चरिंग जैसे कई अन्य कार्य भी करता है। पर आज की अनियमित जीवन-शैली, स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही व जंक फूड और अनहेल्दी खानपान से फैटी लिवर की समस्या उत्पन्न होती है। ऐसा माना जाता है कि दुनिया की आबादी का एक-तिहाई हिस्सा फैटी लिवर से पीड़ित है। इसे साइेंट किलर भी कहा जाता है क्योंकि इस बीमारी के लक्षण जल्दी नहीं सामने नहीं आते हैं। इस बीमारी के गंभीर मामलों में लिवर प्रत्यारोपण की भी नौबत आ सकती है। आइए जानते हैं क्या है पहचना के तरीके –

फैटी लिवर बीमारी: आमतौर पर भी लिवर के इर्द-गिर्द कुछ मात्रा में फैट पाया जाता है। लेकिन जब इसके सेल में बहुत अधिक फैट जमा हो जाता है तो फैटी लिवर की समस्या उत्पन्न होती है। इस बीमारी में लिवर में सुजन व सिकुड़न आम है। हालांकि, अगर समय पर इसका इलाज न किया जाए तो यह गंभीर रूप ले सकता है। मोटापा, डायबिटीज, उच्च रक्तचाप और हाई कोलेस्ट्रॉल के मरीजों में फैटी लिवर का खतरा अधिक रहता है।

क्या हैं पहचान के घरेलू तरीके: इस बीमारी के शुरुआती लक्षण बेशक जल्दी सामने नहीं आते हैं। मगर अपने शरीर की ओर ध्यान देकर इसमें होने वाले बदलावों से आप इस बीमारी का पता लगा सकते हैं। इस बीमारी से पीड़ित लोगों को पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द की शिकायत होती है। आंख और त्वचा पर पीलापन आने लगता है। लाल हथेली और पैरों में सूजन भी इस बीमारी के लक्षण हैं। थकावट और कमजोरी महसूस होने अथवा पेट से जुड़ी समस्या होने पर भी लोगों को सतर्क हो जाना चाहिए। दिक्कत ज्यादा बढ़ जाए तो डॉक्टर से संपर्क करने से हिचकिचाएं नहीं।

डॉक्टर्स इन उपायों से करते हैं पहचान: अगर स्वास्थ्य विशेषज्ञों को ऐसा लगेगा कि व्यक्ति फैटी लिवर से पीड़ित है तो वो सबसे पहले उनकी फैमिली हिस्ट्री जानेंगे। मरीज के पेट को दबाकर फिजिकली भी कई बार डॉक्टर्स इस बीमारी की पहचान करते हैं। वहीं, लिवर एंजाइम्स को चेक करने के लिए ब्लड टेस्ट के जरिये भी फैटी लिवर का पता लगाया जा सकता है। इसके अलावा, डॉक्टर्स अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन, एमआरआई या फिर लिवर की बायोप्सी कराने की सलाह भी दे सकते हैं।