वैज्ञानिकों ने इंसानी डीएनए (डीआॅक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड) की सबसे साफ तस्वीर पेश की है। तस्वीर में डीएनए के परमाणुओं की गतिविधियां साफ नजर आ रही है। यह डीएनए के एक अणु की तस्वीर है। इसे एटॉमिक माइक्रोस्कोप और सुपरकंप्यूटर की मदद से तैयार किया गया है। डीएनए के नए वीडियो को शेफील्ड, लीड्स और यॉर्क यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने मिलकर तैयार किया है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि इस मॉडल को समझने के बाद अब नई जीन चिकित्सा पद्धति विकसित करने में मदद मिलेगी। इससे पहले केवल माइक्रोस्कोप की मदद से डीएनए का एक मॉडल तैयार किया गया था, लेकिन अधिक जानकारी नहीं मिल पा रही है। नए वीडियो में अणुओं की गतिविधियों को देखा और समझा जा सकता है।
डीएनए कई अणुओं का समूह होता है। इसमें जेनेटिक कोड होता है। वंशानुगत खूबियों और खामियों को यही डीएनए अगली पीढ़ी में लेकर जाता है। इंसान में बालों के रंग और नाक के आकार तक के लिए यही डीएनए जिम्मेदार होता है।
डीएनए का सबसे प्रचलित मॉडल 1953 में पेश किया गया था। 1953 में पहली बार जीव वैज्ञानिक जेम्स वॉटसन और फ्रांसिस क्रिक ने मिलकर डीएनए का एक मॉडल पेश किया था। यही मॉडल सबसे प्रचलित है। उन्होंने अपने मॉडल में बताया था कि कैसे इसमें जेनेटिक कोड छिपा होता है। यह चार तरह के रसायन- एडिनीन, ग्वानीन, सायटोसिन और थायमिन से मिलकर बना होता है। डीएनए में दिखने वाली गोलाकार संरचना इंसान की सेहत और बढ़ती उम्र के असर को बताती है। स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का कहना है कि डीएनए में दिखने वाले इस संरचना को बदला भी जा सकता है। ऐसा कर बढ़ती उम्र के असर को रोका जा सकता है।
डीएनए को लेकर वैज्ञानिकों ने एक और महत्त्वपूर्ण प्रयोग किया है। इसके तहत एक विलुप्त प्रजाति को पुनर्जीवित किया गया है। 40 साल पुराने डीएनए के नमूने से जंगली घोड़े की विलुप्त प्रजाति को दोबारा विकसित किया गया। इसका नाम कर्ट रखा गया है। 1975 में जन्मे इस प्रजाति के घोड़े का डीएनए नमूना 1980 में सुरक्षित रख लिया गया था।
कृत्रिम गर्भाधान और सरोगेसी की मदद से उस नमूने के जरिए प्रजेवाल्स्की प्रजाति के नए घोड़े कर्ट का जन्म हुआ। दुनियाभर में इस प्रजाति के दो हजार से भी कम घोड़े बचे हैं। यह जंगली घोड़े की आखिरी प्रजाति मानी जाती है। इन्हें आखिरी बार जंगलों में घूमते हुए 1969 में देखा गया था। कर्ट को जन्म देने के लिए सेनडिएगो जू ग्लोबल ने रिवाइव एंड रिस्टोर संस्था के साथ मिलकर प्रयोग किया।
सेनडिएगो जू ग्लोबल के मुताबिक, जिस पूर्वज के डीएनए सैम्पल से कर्ट को तैयार किया गया है, उसका जन्म 1975 में ब्रिटेन में हुआ था। बाद में उसे 1978 में अमेरिका भेजा गया। 1998 में उसकी मौत से पहले डीएनए को सैनडिएगो जू ग्लोबल फ्रोजेन जू में सुरक्षित कर लिया गया था।
रिवाइव एंड रीस्टोर संस्था के निदेशक रेयान फेलान कहते हैं, जिस अत्याधुनिक प्रजनन तकनीक (क्लोनिंग) से कर्ट का जन्म हुआ है, उसकी मदद से विलुप्ति की कगार पर खड़ी प्रजातियों को बचा सकते हैं। उनके सबसे करीब पूर्वज की मदद से इन्हें वापस लाया जा सकता है। जब कर्ट बड़ा हो जाएगा तो उसे सैन डिएगो जू सफारी भेजा जाएगा। उसे यहां के प्रजनन कार्यक्रम (ब्रीडिंग प्रोग्राम) में शामिल करके इस प्रजाति के और घोड़ों का जन्म कराया जा सकेगा।
डीएनए की अब तक की सबसे साफ तस्वीर सामने आई है। अमेरिकी वैज्ञानिकों का दावा है कि इससे नई जीन चिकित्सा पद्धति विकसित की जा सकेगी। शेफील्ड, लीड्स और यॉर्क यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने मिलकर डीएनए परमाणुओं का वीडियो तैयार किया है। वैज्ञानिकों ने माइक्रोस्कोप और सुपरकंप्यूटर की मदद से डीएनए के एक अणु की तसवीर और वीडियो तैयार की है। डीएनए ही अगली पीढ़ी में वंशानुगत गुणों को पहुंचाता है।

