Air Pollution Exposure and Cardiovascular Disease: राजधानी दिल्ली और एनसीआर के कई हिस्सों में हवा की गुणवत्ता फिर से खराब हो गई है। दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स क्रिटिकल रेंज में है। बढ़ते प्रदूषण से सांस संबंधी बीमारियों का खतरा तो होता है, लेकिन इससे दिल की बीमारियां भी हो सकती हैं। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के शोध के अनुसार वायु प्रदूषण अनियमित दिल की धड़कन का कारण बन सकता है। ऐसे में कई बार हार्ट अटैक का भी खतरा रहता है। जिन लोगों को पहले से हृदय रोग है, उनकी हालत और भी खराब हो सकती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, साल 2016 में अनुमानित 17.9 मिलियन लोगों की मृत्यु सिर्फ हृदय रोग के कारण हुई है; जो कि हुई सभी वैश्विक मौतों का 31% है। इनमें से 85 फीसदी मौतें हार्ट अटैक और स्ट्रोक के कारण हुईं। हम अक्सर दिल के दौरे को छाती के अत्यधिक दर्द और अपनी छाती को जकड़ने के रूप में देखते हैं, लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि दिल का दौरा भी खामोश होता है और महिलाओं में लक्षण कभी-कभी पुरुषों से भिन्न हो सकते हैं।
ऐसे रखें दिल का ख्याल
जो लोग अपने काम की वजह से प्रदूषण के संपर्क में आते हैं उन पर ज्यादा असर पड़ता है। इसमें विभिन्न कंपनियों में काम करने वाले और कंस्ट्रक्शन एरिया में काम करने वाले लोग शामिल हैं। ऐसे में लोगों को बढ़ते प्रदूषण से खुद को बचाना बेहद जरूरी है। डॉक्टरों के मुताबिक ऐसे माहौल में हृदय रोगियों को विशेष ध्यान रखना चाहिए। इसके अलावा अन्य लोगों को भी अपने दिल का ख्याल रखने की जरूरत है।
ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन के अनुसार, ” वायु प्रदूषण आपके रक्त वाहिकाओं की अंदरूनी दीवारों को नुकसान पहुंचाकर आपके दिल और परिसंचरण को प्रभावित कर सकता है, जिससे वे संकरे और सख्त हो जाते हैं। जिससे आपकी रक्त वाहिकाओं की गति सीमित हो जाती है, जो आपके रक्तचाप को बढ़ा सकती है और आपके रक्त वाहिकाओं (Blood Vessels) को बढ़ा सकती है। आपके दिल पर तनाव, आपके रक्त के थक्के बनने की अधिक संभावना, आपके दिल की सामान्य विद्युत कार्यप्रणाली (Electrical Functioning) को प्रभावित करना जो असामान्य हृदय ताल (Abnormal Heart Rhythm) का कारण बन सकता है और हृदय की संरचना में छोटे बदलाव कर सकता है जैसे कि हृदयाघात के प्रारंभिक चरणों में देखा जाता है।
हृदय रोग से पीड़ित लोगों को अपनी दवाएं नियमित रूप से लेते रहना चाहिए, साथ ही धूल, धुएं और प्रदूषण से बचने की कोशिश करनी चाहिए। वहीं घर से बाहर निकलते समय फेस मास्क जरूर लगाएं और शरीर को हाइड्रेट रखने के साथ ही बीपी, ब्लड शुगर लेवल की जांच करानी चाहिए और अगर हार्ट अटैक के कोई लक्षण हों तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
बढ़ रही सांस की बीमारियां
दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण की वजह से सांस संबंधी बीमारियां बढ़ रही हैं। लोगों को अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। अध्ययनों से पता चला है कि ट्रिपल लेयर सर्जिकल मास्क और मल्टी लेयर्ड कॉटन मास्क भी प्रदूषण के कणों को फेफड़े में प्रवेश करने से रोकने के लिए प्रभावी हैं।
चूंकि एन-95 मास्क महंगे हैं, इसलिए ये मास्क सस्ते विकल्प हैं। ये सभी मास्क जो हमें कोविड-19 से बचाते हैं, हमें पीएम 2.5 और पीएम 10 वायु प्रदूषक कणों से बचाने और हृदय स्वास्थ्य को बिगड़ने से बचाने में भी उपयोगी साबित हो सकते हैं। इसके अलावा अस्थमा के मरीजों को इनहेलर साथ रखना चाहिए। अगर आपको सांस लेने में तकलीफ हो या कोई एलर्जी हो तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। ऐसा करने से सांस संबंधी बीमारियों से आसानी से बचा जा सकेगा।
