सर्दी का मौसम जोड़ों और हड्डियों पर खास असर डालता है। ठंडी हवाएं और गिरते तापमान से जोड़ों में जकड़न, दर्द, सूजन और स्टिफनेस बढ़ जाती है। इस मौसम में रूमेटाइड आर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis) के मरीजों को सबसे ज्यादा परेशानी होती है, क्योंकि ठंड उनके शरीर में सूजन और दर्द को और तेज कर देती है।
अब बड़ा सवाल ये है कि ये बीमारी किस उम्र में शुरू होती है और इसकी पहचान कैसे की जाए? विशेषज्ञों के अनुसार रूमेटाइड आर्थराइटिस किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन यह सबसे ज्यादा 30 से 60 साल के बीच दिखाई देता है। रूमेटाइड आर्थराइटिस (RA) गठिया का एक प्रकार है, जो ऑटोइम्यून बीमारी होती है, जिसमें शरीर की इम्यून प्रणाली गलती से जोड़ों पर हमला करने लगती है, जिससे धीरे-धीरे सूजन, कठोरता और जोड़ों की संरचना में बदलाव होने लगता है।
रूमेटाइड अर्थराइटिस के लक्षण
इसके शुरुआती लक्षणों में सुबह उठते ही जोड़ों में जकड़न, हल्का दर्द, सूजन, थकान, हाथ-पैरों की उंगलियों में stiffness, और कई बार दोनों तरफ एक जैसे जोड़ दर्द होना शामिल है। समय पर पहचान और इलाज न मिलने पर यह बीमारी हड्डियों को नुकसान पहुंचा कर उनके आकार को भी बदल सकती है। एम्स और एमोरी यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक नए अध्ययन के मुताबिक, कुछ योगासन रूमेटाइड आर्थराइटिस पर बेहद तेजी से सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। आइए जानते हैं कि इस बीमारी के लक्षण कौन-कौन से हैं और इससे बचाव कैसे किया जा सकता है।
रूमेटाइड आर्थराइटिस का जोड़ों पर असर
रूमेटाइड अर्थराइटिस के कारण जोड़ों में सूजन, दर्द, जकड़न, गर्मी या लालपन होने लगता है। समय के साथ ये सूजन हड्डियों और जोड़ों को नुकसान पहुंचा कर जोड़ों की आकृति बदल सकती है। यह बीमारी ज्यादातर हाथों, कलाई, पैरों, घुटनों को प्रभावित करती है और अक्सर दोनों तरफ एक समान असर करती है, जो इसे दूसरी तरह के आर्थराइटिस से अलग बनाती है।
रूमेटाइड आर्थराइटिस क्यों होता है?
रूमेटाइड अर्थराइटिस के लिए कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं जैसे जेनेटिक फैक्टर यानी परिवार में किसी को है तो इस बीमारी के होने के चांस ज्यादा होते हैं। हार्मोनल बदलाव, स्मोकिंग, संक्रमण, तनाव और असंतुलित लाइफस्टाइल भी इस बीमारी का कारण बनता है। यह एक लाइफ-लॉन्ग बीमारी है, लेकिन दवाओं, एक्सरसाइज, और लाइफस्टाइल मैनेजमेंट से इसके लक्षणों को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है।
रूमेटाइड आर्थराइटिस की कैसे करें पहचान
इस बीमारी का पता लगाने के लिए बॉडी में लक्षण दिखने पर तुरंत RA Factor (Rheumatoid Factor) टेस्ट कराएं। Anti-CCP test सबसे सटीक टेस्ट है। ESR और CRP टेस्ट की मदद से शरीर में सूजन की मात्रा का पता लगता हैं। X-ray, MRI, Ultrasound भी जोड़ों की सूजन और डैमेज का पता करने के लिए जरूरी टेस्ट हैं।
रूमेटाइड आर्थराइटिस से बचाव के लिए डाइट
सर्दी में जोड़ों के दर्द की इस बीमारी से परेशान हैं तो आप ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर फूड जैसे अलसी, अखरोट, फैटी फिश का सेवन करें। डाइट में हल्दी, अदरक, हरी सब्जियां,साबुत अनाज, मौसमी फल,प्रोटीन रिच दालें, पनीर और अंडे का सेवन करें।
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