दुनिया भर में स्ट्रोक के मामले दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं। भारत में भी स्ट्रोक के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है और ये लाखों लोगों की जान भी ले रहा है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के सहयोग से किए गए लैंसेट मेडिकल जर्नल के अध्ययन के मुताबिक, भारत में भी कार्डियक अरेस्ट और स्ट्रोक के कारण तेजी से मौतें हो रही हैं।

रिसर्च के मुताबिक, 2050 तक स्ट्रोक से मौतों का आंकड़ा बढ़कर 9.7 मिलियन पहुंच सकता है। स्ट्रोक से संबंधित मुद्दों के बारे में जागरूकता बहुत आवश्यक है। विशेषज्ञों का कहना है कि हाई ब्लड प्रेशर, शुगर, धूम्रपान और खराब जीवनशैली जैसे कुछ जोखिम कारक स्ट्रोक का कारण बन सकते हैं।

कब होता है स्ट्रोक

एक्सपर्ट्स के अनुसार, स्ट्रोक एक बहुत ही खतरनाक स्थिति है जिसका स्वास्थ्य पर अधिक और लंबा प्रभाव पड़ता है। स्ट्रोक आमतौर पर तब होता है जब मस्तिष्क के कुछ हिस्सों में रक्त का प्रवाह बाधित हो जाता है। यह कभी भी किसी को भी हो सकता है। यह बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं के साथ-साथ मस्तिष्क को गंभीर क्षति भी पहुंचा सकता है। जो लोग हाई ब्लड प्रेशर, शुगर, मोटापा, शराब, हाई कोलेस्ट्रॉल और धूम्रपान जैसे कई रूपों में निकोटिन का सेवन करते हैं, उनमें इस समस्या के विकसित होने का अधिक खतरा होता है। इसलिए अपने स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त सावधानी बरतना आवश्यक है। इसके साथ ही लाइफस्टाइल में भी बदलाव करना जरूरी है। इससे स्ट्रोक का खतरा कम हो जाता है।

ब्लड प्रेशर कंट्रोल करना

ब्लड प्रेशर वाले लोगों को सावधान रहना चाहिए, उन्हें स्ट्रोक के जोखिम कारकों में से एक है। ऐसे में हाई सोडियम वाले खाद्य पदार्थ जैसे पैकेज्ड या जंक फूड से बचना चाहिए।

निकोटिन लेने से बचें

धूम्रपान जैसी आदतें स्ट्रोक की समस्या को काफी प्रभावित कर सकती हैं। यह आपकी रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाता है। जिसके चलते धमनियों में प्लाक जम जाता है। इसलिए धूम्रपान छोड़ने से स्ट्रोक का खतरा कम हो सकता है।

इसके साथ ही हेल्दी और फिट रहने के लिए शरीर को विटामिन की आवश्यकता होती है। ऐसे में शरीर में विटामिन बी 12 की कमी का असर पाचन को भी बिगाड़ सकता है।