‘क्लीनिकल इंफेक्शियस डिजिजेज’ जर्नल में प्रकाशित अध्ययन कोरोना के गंभीर लक्षणों के साथ अस्पताल में भर्ती और रक्त प्रवाह में संक्रमण का सामना कर रहे मरीजों में सूक्ष्म जीव विज्ञान, खतरे के कारण और परिणामों का आकलन करने वाला पहला अध्ययन है।
अध्ययन में अमेरिका के रटगर्स विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं ने मार्च से लेकर मई 2020 तक कोरोना के 375 गंभीर मरीजों के स्वास्थ्य का आकलन किया। उन्होंने समूह से 128 नमूनों की जांच की जिनमें रक्त प्रवाह में संक्रमण था, उनमें 92 फीसद संक्रमण जीवाणु से था। विश्वविद्यालय की ओर से अध्ययन की सह लेखक पिंकी भट्ट ने कहा कि इन मरीजों के अत्यधिक मानसिक तनाव में रहने, आॅक्सीजन सकेंद्रण की कम मात्रा रहने की संभावना को लेकर उन्हें गहन चिकित्सा इकाई (आइसीयू) में भर्ती किया गया था।
वैज्ञानिकों के मुताबिक जिन मरीजों को बाहर से अतिरिक्त आॅक्सीजन चढ़ाए जाने की जरूरत थी, उनमें रक्त प्रवाह संक्रमण की अधिक समस्या थी। अध्ययन में शामिल वैज्ञानिकों ने कहा कि अस्पताल में भर्ती ऐसे मरीजों की मृत्यु दर 50 फीसद से अधिक थी।
अध्ययन के मुताबिक, अध्ययन में शामिल किए गए मरीजों में 80 फीसद को अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान कभी न कभी ‘एंटीमाइक्रोबियल’ दिया गया, यह उन्हें भी दिया गया जिन मरीजों के रक्तप्रवाह में संक्रमण नहीं था। भट्ट ने कहा कि यह समझने के लिए और अधिक अध्ययन किए जाने की जरूरत है कि कोरोना विषाणु संक्रमण के गंभीर मरीजों में रक्त प्रवाह संक्रमण के बारे में कब संदेह करें और कब उसका इलाज करें।