पेट की गैस और एसिडिटी से राहत पाने के लिए अक्सर आम व्यक्ति खुद ही अपना डॉक्टर बन जाता है। पेट से जुड़ी इस परेशानी का सबसे आसान और तुरंत असर दिखाने वाला उपाय उसे सुबह खाली पेट खाई जाने वाली गोली लगती है। यही वजह है कि बहुत से लोग बिना किसी डॉक्टर की सलाह के सीधे केमिस्ट से पैंटोप्राजोल (Pantoprazole) खरीद लेते हैं और इसे रोज सुबह लेने की आदत बना लेते हैं। शुरुआत में यह दवा पेट में बनने वाले एसिड को दबाकर आराम देती है, लेकिन लगातार और लंबे समय तक इसका सेवन शरीर के प्राकृतिक पाचन तंत्र को प्रभावित कर सकता है।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, बिना जरूरत रोजाना पैंटोप्राजोल लेने से न सिर्फ एसिड बैलेंस बिगड़ता है, बल्कि किडनी पर भी धीरे-धीरे दबाव बढ़ सकता है। इसलिए एसिडिटी को हल्के में लेकर लंबे समय तक दवा लेने के बजाय इसकी असली वजह समझना और डॉक्टर की सलाह लेना ज्यादा सुरक्षित और समझदारी भरा तरीका है। आइए जानते हैं कि रोजाना खाली पेट गैस की दवा का सेवन करने से सेहत पर कैसा असर होता है।
खाली पेट पैंटोप्राजोल लेने से सेहत पर कैसा होता है असर?
KIMS हॉस्पिटल्स, ठाणे के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी कंसल्टेंट डॉ. मनीष डोडमनी ने बताया सबसे बड़ी समस्या ये है कि लोग इन गोलियों को बिल्कुल सुरक्षित मान लेते हैं, जबकि इनका शरीर पर गहरा असर पड़ता है। डॉ. डोडमनी ने बताया पैंटोप्राजोल ऐसी दवाओं के समूह में आती है, जो पेट में बनने वाले एसिड को कम करती हैं। उन्होंने बताया अगर इसे हफ्तों या महीनों तक बिना किसी ठोस मेडिकल कारण के लिया जाए, तो यह किडनी में सूजन पैदा कर सकता है, जिसे इंटरस्टिशियल नेफ्राइटिस कहा जाता है। इस तरह की सूजन में अक्सर शुरुआती लक्षण दिखाई नहीं देते, इसलिए नुकसान तब तक नजर नहीं आता जब तक ये गंभीर न हो जाए।
वॉकहार्ट हॉस्पिटल्स, मुंबई सेंट्रल के कंसल्टेंट नेफ्रोलॉजिस्ट और रीनल ट्रांसप्लांट फिजिशियन डॉ. निखिल भसीन ने कहा कि इसका सबसे बड़ा खतरा यही है कि ये सूजन बिना किसी साफ लक्षण के धीरे-धीरे बढ़ती रहती है। उन्होंने बताया जब तक मरीज को सूजन, थकान या पेशाब की मात्रा कम होने जैसे लक्षण महसूस होते हैं, तब तक किडनी पहले ही काफी दबाव में आ चुकी होती है। एक्सपर्ट के मुताबिक किडनी पेट या फेफड़ों की तरह सीधे लक्षण जाहिर नहीं करती। कई लोग महीनों तक यह दवा लेते रहते हैं, यह सोचकर कि यह नुकसानदायक नहीं है, जबकि अंदर ही अंदर किडनी की स्थिति बिगड़ती रहती है।
आमतौर पर रूटीन ब्लड टेस्ट में तब पता चलता है जब क्रिएटिनिन का स्तर पहले ही बढ़ चुका होता है। एक्सपर्ट ने बताया पैंटोप्राजोल एक शक्तिशाली दवा है, जो पेट के काम करने के तरीके को बदल देती है। बिना निगरानी रोज इसका इस्तेमाल शरीर के प्राकृतिक एसिड संतुलन को बिगाड़ देता है और उन अंगों पर दबाव डालता है, जो बिना लक्षण दिखाएं काम करते हैं। डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, पहले से हल्की किडनी बीमारी वाले मरीज ज्यादा संवेदनशील होते हैं इसलिए उन्हें इस दवा का सेवन डॉक्टर की सलाह के मुताबिक ही करना चाहिए। दवा के अधिक इस्तेमाल से इंटरस्टिशियल नेफ्राइटिस का शिकार हो सकते हैं।
अगर एसिडिटी बार-बार लौटती रहे तो क्या करें?
छोटी-छोटी आदतें बड़ा फर्क डाल सकती हैं। समय पर भोजन करना, तला-भुना और मसालेदार खाना कम करना, चाय-कॉफी का सेवन घटाना, देर रात खाने से बचना और तनाव को कंट्रोल करना शुरुआती कदम हैं। डॉ. डोडमनी के अनुसार ये उपाय बिना सलाह लंबे समय तक दवा लेने से कहीं ज्यादा असरदार हो सकते हैं। अगर परेशानी बनी रहती है, तो महीनों तक गोलियां खाने के बजाय जांच कराना बेहतर है।
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