जब यूरिक एसिड की अधिक मात्रा रक्त में जमा हो जाती है, तो यह शरीर में कई प्रकार की समस्याओं का कारण बनती है। यदि शरीर में यूरिक एसिड अधिक मात्रा में बन जाता है, तो किडनी के लिए इसे फिल्टर करना मुश्किल हो जाता है। धीरे-धीरे यह यूरिक एसिड क्रिस्टलीकृत होने लगता है और नसों में छोटे-छोटे कणों के रूप में बैठने लगता है।
यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ने से शरीर में जोड़ों का दर्द, सूजन और दर्द जैसी समस्याएं होने लगती हैं। उच्च यूरिक एसिड स्तर वाले लोगों को बाद में गाउट की समस्या भी हो सकती है। इसलिए शरीर में यूरिक एसिड को बनने से रोकना जरूरी है। ऐसे में आइए आचार्य बालकृष्ण से जानते हैं कि गठिया का दर्द कैसे कम किया जा सकता है।
हाई यूरिक एसिड की समस्या से पीड़ित लोगों के लिए भी अश्वगंधा बहुत फायदेमंद होता है। आचार्य बालकृष्ण विशेषज्ञ यूरिक एसिड के स्तर को संतुलित रखने के लिए अश्वगंधा के सेवन की सलाह देते हैं। यह बढ़े हुए यूरिक लेवल से जुड़ी समस्याओं और लक्षणों से भी राहत दिलाता है। यूरिक एसिड के कारण घुटनों के आसपास सूजन आ जाती है और जोड़ों में दर्द भी होता है। अश्वगंधा इस सूजन को कम करता है। इसी तरह गठिया के रोगियों को भी अश्वगंधा के सेवन से दर्द और सूजन से राहत मिलती है।
अश्वगंधा गठिया के इलाज के लिए फायदेमंद (Ashwagandha Benefits in Arthritis)
आचार्य बालकृष्ण के अनुसार 2 ग्राम अश्वगंधा का चूर्ण गर्म दूध या पानी या गाय के घी या चीनी के साथ सुबह-शाम सेवन करने से गठिया में लाभ होता है। आचार्य बालकृष्ण के अनुसार कमर दर्द और नींद न आने की समस्या में भी यह फायदेमंद है।
अश्वगंधा के 30 ग्राम ताजे पत्तों को 250 मिलीग्राम पानी में उबाल लें। जब पानी आधा रह जाए तो इसे छानकर पी लें। इसे एक सप्ताह तक पीने से कफ के कारण होने वाले वात और गठिया में विशेष लाभ मिलता है। इसका पेस्ट भी फायदेमंद होता है।
अश्वगंधा को आम बोलचाल में असगंध के नाम से जाना जाता है, लेकिन देश-विदेश में इसे कई नामों से जाना जाता है। अश्वगंधा का वानस्पतिक नाम विथानिया सोम्निफेरा (Withania somnifera (L.) Dunal) डुनल (विथानिया सोम्निफेरा) सिन-फिजलिस सोम्निफेरा लिनन (Syn-Physalis somnifera Linn.) और इसके अन्य नाम भी हैं।