Measles: वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन(डब्ल्यूएचओ) द्वारा श्रीलंका को चेचक मुक्त घोषित किया गया है। यह दर्शाता है कि पिछले तीन सालों में श्रीलंका में इस बीमारी के शून्य नए मामले सामने आए हैं। हालांकि, 2020 तक पड़ोसी देश भारत में भी इस रोग को खत्म करने की बात सामने आई है। साथ ही रूबेला / कॉन्जेनिटल रूबेला सिंड्रोम (सीआरएस) को नियंत्रित करने के अपने संकल्प को हासिल करना बाकी है। यह संक्रामक वायरल बीमारी के कारण ज्यादातर बच्चे प्रभावित होते हैं, चेचक उनमें से एक है। भारत में हर साल लगभग 2.7 मिलियन बच्चों को चेचक होता है। जो बच जाते हैं वे दस्त, निमोनिया और कुपोषण सहित गंभीर जटिलताओं से पीड़ित होते हैं।

चेचक क्या होता है?
चेचक एक संक्रमणीय बीमारी है जिसके कारण शरीर पर लाल धब्बे, दाग और छाले हो जाते हैं। इस बीमारी से हर इंसान एक बार तो जरूर ग्रसित होता है। आमतौर पर यह बच्चों में अधिक होता है। प्रेग्नेंट महिला, किशोर या फिर व्यस्क इस बीमारी से अधिक परेशान होते हैं और उन्हें बहुत सी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। चेचक एक इंसान से दूसरे इंसान में फैलने वाला एक बीमारी है। इसलिए बहुत सी सावधानी रखने की जरूरत होती है।

चेचक के लक्षण:

-बहुत तेज बुखार आ जाना
– अक्सर गले और सिर में दर्द रहना
– कम भूख लगने लगना
– शरीर पर लाल रंग के धब्बे होने लगना
– कमजोरी और थकावट महसूस होना
– शरीर में खुजली होने लगना

बच्चों में चेचक:
डॉक्टर हमेशा सलाह देते हैं कि 12 से 15 वर्ष के बच्चों को चेचक का टीका लगवाना चाहिए और 4 से 6 साल के बच्चों को बूस्टर टीका लगवाना चाहिए। यह टीका चेचक के संक्रमण को रोकने में मदद करता है। यह टीका लगभग 70-80 प्रतिशत तक चेचक के संक्रमण को कम कर देता है। जिन बच्चों को बचपन में यह टीका लगा होता है उनमें इस बीमारी के होने की संभावना कम हो जाती है।

चेचक का इलाज:
चेचक का कोई इलाज नहीं होता है। यह लगभग 5-7 दिन तक रहता है। आमतौर पर चेचक वाले लोगों के आस-पास नीम के पत्ते रखें जाते हैं ताकि वह बैक्टीरिया और कीटाणुओं को नष्ट कर सकें ताकि इंफेक्शन और ना बढ़ें। इसके अलावा चेचक के कारण होने वाले छाले और दाग-धब्बों को दूर करने के लिए घरेलू उपचारों की भी मदद ली जाती है।

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