Food Poisoning cases in India: भारत में हर साल कई लोग फूड पॉयजनिंग के शिकार होते हैं या फिर मर जाते हैं। लैंसेट की रिपोर्ट के अनुसार भारत एक ऐसा देश है जहां लगभग हर साल 15.73 लोग फूड पॉयजनिंग से मरते हैं। भारत दूनिया में दूसरे नंबर पर है जहां लोग खराब खाने के कारण मौत के शिकार हो जाते हैं। चीन पहले नंबर पर है। यहां 31.28 लोग खराब खाने के कारण मरते हैं। 2008 से 2017 में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के इंटीग्रेटेड डीजीज सर्विलांस प्रोग्राम(आईडीएसपी) के अुनसार फूड पॉयजनिंग बहुत तेजी से फैल रहा है। 2008 से 2017 के बीच लगभग 2867 केस फूड पॉयजनिंग के आए थे जो डायरिया के 4361 मामलों से अलग थे।
आईडीएसपी के अनुसार इस साल 6 से 12 मई के बीच लगभग फूड पॉयजनिंग के 14 मामले सामने आए हैं। बीते साल आई वर्ल्ड बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक भोजन के कारण होने वाली बीमारियों की वजह से भारत पर प्रति वर्ष लगभग 1,78,000 करोड़ का बोझ पड़ता है। यह भारत के जीडीपी का करीब 0.5 प्रतिशत है। पिछले 10 सालों में फूड पॉयजनिंग के मामले लगातार बढ़ें हैं जिसे देखकर राष्ट्रिय स्वास्थ नीति बनाई गई।
2008 से 2017 के बीच फूड पॉयजनिंग के लगभग 2867 मामले सामने आए हैं:
2008 में 50
2009 में 120
2010 में 184
2011 में 305
2012 में 255
2013 में 370
2014 में 306
2015 में 328
2016 में 395
2017 में 242
2008 से 2017 के बीच प्रसाद, शादी समारोह, हॉस्टल और कैंटीन में बनाए जानें वाले खानों में सबसे अधिक फूड पॉयजनिंग के मामले आए हैं। देश के स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी चौबे ने लोकसभा में 4 जनवरी 2019 में बताया कि पिछले तीन साल में खाने में लगभग 20 प्रतिशत मिलावट वाले सैंपल मिले।
2016 से 2017 के बीच 78,340 सैंपल्स लिए गए। इनमें से 23 प्रतिशत सैंपल्स मिलावटी थे।
2017 से 2018 के बीच 99,353 सैंपल्स लिए गए। इनमें से 24 प्रतिशत सैंपल्स मिलावटी थे।
खाने में सबसे अधिक मिलावट इन पांच राज्यों में है:
मणिपुरः 830 सैंपल में से 295 (36%) मिलावटी
उत्तर प्रदेशः 19063 सैंपल में से 8375 (44%) मिलावटी
झारखंडः 580 सैंपल में से 219 (38%) मिलावटी
मिजोरमः 84 सैंपल में से 52 (62%) मिलावटी
राजस्थानः 3549 सैंपल में से 1598 (45%) मिलावटी
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