Lumpy Skin Disease Symptoms, Causes and Prevention: देश में Lumpivirus का कहर बढ़ता ही जा रहा है. ढेलेदार वायरस का कहर कई राज्यों में देखने को मिल रहा है। उत्तर प्रदेश-राजस्थान से लेकर मध्य प्रदेश तक यह वायरस तेजी से फैल रहा है। साल 2019 में भी लंपी वायरस का कहर भारत में देखने को मिला था। इस साल लंपी वायरस का प्रकोप फिर से गुजरात से फैला और अब तक लंपी वायरस कई राज्यों में फैल चुका है। इस वायरस के चपेट में लाखों जानवर आ चुके हैं और हजारों मवेशी काल के गाल में समा चुके हैं।
सरकार की ओर से सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। जानकारों के मुताबिक अभी तक लंपी वायरस की एंटीडोज तैयार नहीं हो पाई है। इससे बड़ी संख्या में मवेशियों की मौत हो गई है। आइए, जानते हैं इस वायरस के बारे में सबकुछ-
क्या होता है लंपी वायरस ?
लंपी स्किन डिजीज को ‘ढेलेदार या गांठदार त्वचा रोग वायरस’ के रूप में भी जाना जाता है। वहीं इसे संक्षेप में एलएसडीवी (LSDV) कहते हैं। यह एक संक्रामक रोग है, जो एक जानवर से दूसरे जानवर में फैलता है। सीधे शब्दों में कहें तो एक संक्रमित जानवर के संपर्क में आने से दूसरा जानवर भी बीमार हो सकता है। यह रोग Capri Poxvirus नामक वायरस के कारण होता है। यह वायरस बकरी लोमड़ी और भेड़ चेचक वायरस (गोट फॉक्स और शीप पॉक्स वायरस) के परिवार से संबंधित है। जानकारों के मुताबिक मवेशियों में यह बीमारी मच्छर के काटने और खून चूसने वाले कीड़ों के जरिए फैलती है।
लंपी स्किन डिजीज के कारण
जानकारी के मुताबिक मवेशियों में यह बीमारी एक वायरस के कारण फैल रही है। जिसे ‘नोडुलर (गांठदार) स्किन डिजीज वायरस’ कहा जाता है। इसकी तीन प्रजातियां हैं। जिसमें पहली प्रजाति ‘कैप्रीपॉक्स वायरस’ है। इसके अन्य गोटपॉक्स वायरस और शीपपॉक्स वायरस हैं।
लंपी स्कीन डिजीज के लक्षण
इस रोग के कई लक्षण है। जिसमें मवेशियों को बुखार आना, पशुओं के वजन में कमी, आंखों से पानी टपकना, लगातार लार बहना, शरीर पर दाने निकलना, दूध कम देना और भूख न लगाना जैसे लक्षण देखे गए हैं।
लंपी स्किन डिजीज से बचाव
ये खतरनाक रोग एक ऐसी बीमारी है जो मवेशियों के सीधे संपर्क में आने और दूषित भोजन एवं पानी के जरिए भी फैलती है। इससे बचाव के लिए अपने संक्रमित पशु को अलग रखें और तबेले की साफ सफाई रखें। इसके साथ ही नियमित तौर पर मच्छरों को भगाने के लिए स्प्रे करें। साथ ही संक्रमित पशु को गोट पॉक्स वैक्सीन लगवाएं और पशुओं को चिकित्सक की सलाह पर दवा दे सकते हैं।
