World Hepatitis Day 2019: हेपेटाइटिस हमारे लीवर को नुकसान पहुंचाने वाली एक खतरनाक बीमारी होती है। इसका मुख्य कारण वायरल इंफेक्शन होता है। यदि हैपेटाइटिस को 6 महीने के अंदर ही ठीक कर लिया जाता है तो यह ज़्यादा खतरनाक नहीं होता है लेकिन यदि आप सही समय पर इसका इलाज नहीं करवाते हैं तो यह आपके लिए जानलेवा साबित हो सकता है। हेपेटाइटिस के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 28 जुलाई को विश्व हैपेटाइटिस दिवस मनाया जाता है। यह दिवस राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लोगों को जागरूक करने के लिए मनाया जाता है। यह 28 जुलाई को इसलिए मनाया जाता है क्योंकि इस दिन डॉ. बरूत ब्लूमबर्ग का जन्मदिवस होता है। इन्होंने ही हैपेटाइटिस बी की खोज की थी और इसके इलाज के लिए दवाई भी बनाई थी।

डब्लूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार, अगले 11 साल के अंदर हेपेटाइटिस को खत्म करने की बात की गई है। इस रिपोर्ट में लगभग 257 मीलियन लोगों को हेपेटाइटिस का इंफेक्शन है। 2016 में लगभग 10.5% (27 मिलियन) इस बीमारी के शिकार हुए थे।

वायरल इंफेक्शन से होने वाले हेपेटाइटिस के मुख्य रूप से 5 प्रकार होते हैं। सभी 5 प्रकार अलग-अलग प्रकार के वायरस के कारण होते हैं।

हेपेटाइटिस के प्रकार-

1. हैपेटाइटिस ए – हैपेटाइटिस ए वायरस (HAV) के कारण हैपेटाइटिस ए होता है। यह मुख्य रूप से तब होता है जब हम किसी हैपेटाइटिस के मरीज़ द्वारा खाए गए खाने को खाते हैं या फिर उसके द्वारा पिए गए पानी को पीते हैं।

2. हैपेटाइटिस बी – इसका मुख्य कारण होता है जब हम एक हैपेटाइटिस से ग्रस्त व्यक्ति द्वारा इस्तेमाल किया गया रेज़र का प्रयोग करते हैं, या फिर किसी भी प्रकार से हम उस व्यक्ति के कॉन्टेक्ट में आते हैं। इसके कारण आंखों और त्वचा का रंग पीला पड़ जाता है, थकान बहुत अत्यधिक होती है, गहरे रंग का मूत्र आता है और उल्टी तथा पेट दर्द भी होता है।

3. हैपेटाइटिस सी- इसका मुख्य कारण हैपेटाइटिस सी वायरस (HCV) होता है। शुरूआत में इसका कोई लक्षण नहीं दिखता और जब तक इस बारे में पता चल पाता है तब तक यह पूरे शरीर में फैल जाता है। हैपेटाइटिस सी के अंतिम चरण में रोगी को लीवर कैंसर भी हो सकता है।

4. हैपेटाइटिस डी – इसे डेल्टा हैपेटाइटिस के नाम से भी जाना जाता है। यह बहुत ही गंभीर बीमारी होती है जो कि हैपेटाइटिस डी वायरस (HDV) के कारण होती है। परन्तु यह किसी व्यक्ति को तभी होता है जब उसे पहले हैपेटाइटिस बी या फिर सी हो चुका हो। इसके मुख्य लक्षण में गहरे रंग का मूत्र, उल्टी, थकान, दस्त या फिर हल्का बुखार हो सकते हैं।

5. हैपेटाइटिस ई – यह एक जलजनित बीमारी होती है जो कि हैपेटाइटिस ई वायरस(HEV) के कारण होती है। यह दूषित पानी व भोजन तथा गंदगी के कारण फैलता है। बाकी देशों के मुकाबले हैपेटाइटिस ई के मरीज़ भारत में न के बराबर हैं।

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