किडनी का काम है खून को फ़िल्टर करना, शरीर से टॉक्सिन और अतिरिक्त पानी निकालना और हार्मोन संतुलन बनाए रखना है। जब किडनी ये सभी काम सही तरह से नहीं कर पाती तो किडनी फेलियर कहा जाता है। किडनी में खराबी रातो रात नहीं होती बल्कि सालों की खराब डाइट, बिगड़ता लाइफस्टाइल और कुछ मेडिकल कंडीशन इस बीमारी के लिए जिम्मेदार हो सकती हैं। खराब डाइट और लाइफस्टाइल से मतलब है डाइट में तला-भुना मसालेदार खाना शामिल करना, ज्यादा नमक, ज्यादा प्रोटीन डाइट, धूम्रपान, शराब और नींद की कमी किडनी पर साइलेंट किलर की तरह अटैक करती है।

मेडिकल कंडीशन की बात करें तो अनकंट्रोल्ड हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज़,लंबे समय तक पेनकिलर का सेवन, एंटीबायोटिक्स या दूसरी दवाओं का सेवन किडनी पर दबाव डालता है और नुकसान पहुंचा सकता है। यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन, किडनी स्टोन, पानी की कमी और डिहाइड्रेशन के कारण भी किडनी पर दबाव पड़ता है।

फोर्टिस हॉस्पिटल, नोएडा में नेफ्रोलॉजी विभाग की निदेशक डॉ. अनुजा पोरवाल ने बताया किडनी फेल होने का सबसे बड़ा कारण हाई बीपी और डायबिटीज़ हैं। अगर इन बीमारियों का समय पर इलाज किया जाए और इन्हें कंट्रोल किया जाए तो किडनी को बचाया जा सकता है। किडनी में खराबी होने पर बॉडी में टॉक्सिन जमा होने लगते हैं और बॉडी बीमारियों का घर बन जाती है। आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि किडनी खराब होने पर बॉडी में कौन-कौन से लक्षण दिखते हैं जिन्हें नजरअंदाज बिल्कुल नहीं करना चाहिए।

बार-बार पेशाब आना या पेशाब कम होना

अगर आपको बार-बार पेशाब करने की ज़रूरत महसूस होती है, खासकर रात में, या फिर पेशाब की मात्रा सामान्य से कम हो रही है तो यह किडनी से जुड़ी समस्या का शुरुआती संकेत हो सकता है। अगर पेशाब झागदार, गहरे रंग का या खून मिला हुआ आ रहा है तो ये किडनी डैमेज की ओर इशारा करता है।

लगातार थकान और कमजोरी

किडनी का एक काम एरिथ्रोपोइटिन नामक हार्मोन बनाना है, जो शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं (RBCs) के निर्माण में मदद करता है। जब किडनी सही तरह से काम नहीं करती तो RBCs कम बनने लगता हैं और एनीमिया हो सकता है। इसकी वजह से अक्सर शरीर में थकान, कमजोरी और एनर्जी की कमी महसूस होती है, जिसे लोग सामान्य थकावट समझकर नजरअंदाज कर देते हैं।

टखनों, पैरों या हाथों में सूजन होना

किडनी शरीर में तरल और सोडियम का संतुलन बनाए रखती है। जब किडनी को नुकसान होता है तो अतिरिक्त पानी और नमक शरीर में जमा होने लगता है। इसका असर टखनों, पैरों, हाथों और चेहरे पर सूजन के रूप में दिखता है। अगर सूजन लगातार बनी रहे तो इसे हल्के में नहीं लें।

पीठ या कमर के पास दर्द होना

लोअर बैक, कमर के किनारे या किडनी के आसपास दर्द होना भी किडनी डैमेज का संकेत हो सकता है। यह दर्द किडनी स्टोन, संक्रमण या सूजन की वजह से भी हो सकता है। अगर यह तकलीफ़ लगातार बनी रहे और इसके साथ पेशाब में बदलाव भी दिखे, तो डॉक्टर से तुरंत जांच कराएं।

मिचली और भूख कम लगना

किडनी की खराबी से खून में टॉक्सिन जमा होने लगते हैं। यह विषैले पदार्थ शरीर में जाकर उल्टी, जी मिचलाने और भूख कम होने जैसी समस्याएं बढ़ा सकते हैं। अगर आप भी अपने में यह लक्षण लंबे समय तक महसूस कर रहे है तो तुरंत सतर्क हो जाए, ये किडनी की सेहत से जुड़ा संकेत हो सकते हैं।  

खुजली या रूखी त्वचा

किडनी की समस्या होने पर शरीर में मिनरल और पोषक तत्वों का बैलेंस बिगड़ सकता है जिसका असर स्किन पर पड़ता है। इन पोषक तत्वों की कमी होने से स्किन में खुजली होती है और स्किन ड्राई होने लगती है। यह तब होता है जब किडनी खून से विषैले तत्वों को ठीक से फ़िल्टर नहीं कर पाती। ऐसे संकेत शुरुआती किडनी डिस्फंक्शन की तरफ इशारा करते हैं और इन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।

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