IVF Myths vs Facts: हर एक परिवार का सपना होता है कि उनके घर में बच्चों की किलकारियां गूंजे। लेकिन कई बार शारीरिक और मानसिक समस्याएं ऐसी हो जाती है। जिसके कारण मां-बाप बनने का सपना पूरा नहीं हो पाता है। कई बार खराब लाइफस्टाइल के कारण इनफर्टिलिटी एक आम समस्या बनती जा रही है। ऐसे में आज के दौर में इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) ने एक क्रांति सी ला दी है। ऐसे में बांझपन का ताना सुन रहे लाखों दंपतियों के लिए एक उम्मीद की किरण बन गए है। समय के साथ-साथ तकनीक का इस्तेमाल करके घर में खुशखबरी आ सकती है।
ऐसे में पेरेंट्स बनने के लिए आईवीएफ काफी कारगर तकनीक है। लेकिन कई कपल्स ऐसे भी है, जिनको आईपीएफ (IVF) के बारे में सही जानकारी न होने के कारण वह आईवीएफ करवाने से कतराते हैं। जहां एक ओर आईवीएफ कई लोगों के जीवन में खुशियां ला रहा है, तो इससे जुड़ी कुछ ऐसी अफवाहें है, जिसके कारण लोग इसे एक गलत तकनीक मान लेते हैं और इसे अनदेखा कर देते है। आइए जानते हैं जिंदल आईवीएफ एंड फर्टिलिटी, चंडीगढ़ की डॉक्टर शीतल जिंदल से जानते हैं उन मिथ्स के बारे में जो कपल्स के बीच काफी गलत फैले हुए है।
मिथक 1- आईवीएफ कोई नेचुरल तरीका नहीं है
डॉ शीतल जिंदल कहती हैं कि लोगों के बीच ये सबसे बड़ी गलत धारणा है। दरअसल, यह विज्ञान और तकनीक के माध्यम से आपको प्रेग्नेंट करने का एक जरिया है जिसकी मदद से आप नैचुरल तरीके से प्रेग्नेंट करने में मदद करते हैं। इस प्रक्रिया में महिला के एग और पुरुष के स्पर्म को मिलाया जाता है और भ्रूण बनने तक लैब में रखा जाता है। इसके बाद भ्रूण विकसित होने के बाद उसे फिर से महिला के गर्भाशय में स्थानांतरित कर दिया जाता है। इसके बाद नैचुरल तरीके से महिला प्रेग्नेंट होती है और नौ महीने बाद बच्चे को जन्म देती है।
मिथक 2- अधिक आराम करने की जरूरत
डॉ शीतल जिंदल कहती हैं कि लोगों के बीच ये धारणा काफी कॉमन है कि आईवीएफ कराने के बाद आपको अधिक ध्यान रखने के साथ उठने बैठने से लेकर टॉयलेट जाने तक में अधिक सावधानी बरतनी चाहिए। लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। आईवीएफ के दौरान आप उसी तरह रह सकते हैं जैसे नैचुरल तरीके से कंसीव करने के बाद रहती हैं। इसलिए आपको स्पेशल ट्रीटमेंट की जरूरत नहीं है। बस अपने खानपान और लाइफस्टाइल का ध्यान रखें। अगर किसी महिला को डायबिटीज, मोटापा जैसी समस्या है, तो बस समय-समय पर डॉक्टर से चेकअप करवाते रहें।
मिथक 4- आईवीएफ कराने के बाद हो जाते हैं कई बीमारियां
कई लोगों का मानना है कि आईवीएफ कराने के बाद महिलाओं को मोटापा, डायबिटीज अन्य लाइफस्टाइल डिजीज हो जाते हैं। इस बारे में डॉ शीतल जिंदल का कहना है कि यह धारणा बिल्कुल गलत है। यह विज्ञान और तकनीक को मिलाकर एक नेचुरल प्रक्रिया है। जिसमें बाद में किसी भी प्रकार की बीमारी होने का खतरा काफी कम होता है। इसलिए इस बात को लेकर परेशान होने की जरूरत नहीं है।