भयंकर गर्मी में वर्कआउट करना एक बड़ी चुनौती है। कोई भी एक्सरसाइज करने के बाद शरीर में खून का बहाव तेज हो जाता है जिससे शरीर गर्म हो ही जाता है। ऊपर से वातावरण भी अगर गरम है तो ऐसे में वर्कआउट करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। कुछ लोग ज्यादा गर्मी वाले दिन एक्सरसाइज करने से भी बचते हैं। कुछ लोगों का ये सुझाव है कि ज्यादा गर्मी वाले दिनों में एसी रूम में वर्कआउट किया जा सकता है। अब सवाल यह है कि एसी रूम में एक्सरसाइज करना कितना सही है। आज हम इसी सवाल का जवाब ढूंढने की कोशिश करेंगे।

एसी रूम में ठंडे तापमान के कारण शरीर की मांसपेशियां थोड़ी सी कठोर हो जाती हैं जिससे थोड़ी भी असावधानी होने पर उन्हें नुकसान पहुंचने का खतरा ज्यादा रहता है, जबकि शरीर यदि गर्म रहे तो यह खतरा थोड़ा कम ही रहता है। इसके अलावा ठंडे तापमान में शरीर धीरे-धीरे गर्म होता है इसलिए बॉडी को वार्म-अप होने के लिए ज्यादा एनर्जी और समय की जरूरत होती है। सामान्य तापमान में वर्कआउट करने से शरीर से पसीना निकलना स्वभाविक है। इस पसीने के साथ शरीर के अंदर से टॉक्सिन और कई अन्य नुकसानदेह पदार्थ बाहर निकलते हैं। एसी रूम में वर्कआउट करने से शरीर से पसीना कम निकलता है और शरीर के अंदर से खतरनाक पदार्थों के बाहर निकलने की प्रक्रिया नहीं हो पाती, जो शरीर के लिए नुकसानदेह भी है।

जिम में एसी लगने की वजह से आलस महसूस होने की भी संभावना होती है। कम तापमान में नींद आने की भी समस्या से दो-चार होना पड़ता है। इसके अलावा जब शरीर ठंडा रहता है तब इसका एक्टिविटी लेवल भी कम हो जाता है। गर्म तापमान में वर्कआउट करने से हर्ट-रेट बढ़ता है जिससे व्यक्ति और ज्यादा एक्टिव रहता है जो कि एसी रूम में संभव नहीं है। इन सबके साथ एसी रूम में एक्सरसाइज को लेकर एक मनोवैज्ञानिक कारण भी है। एक्सरसाइज के दौरान पसीने से तर-बतर होना एक साइकोलॉजिकल सेटिस्फैक्शन देता है जो एक एसी रूम में किए जाने वाले पसीनारहित व्यायाम से कतई नहीं मिल सकता।